tag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post4842930154113235182..comments2023-10-16T05:54:41.543-07:00Comments on Benakab: 6.Madhu Singh: SajanAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/14500351687854454625noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post-40569097497615921902012-11-04T12:00:35.317-08:002012-11-04T12:00:35.317-08:00marmsparshi prastuti,badhayeemarmsparshi prastuti,badhayeeAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post-68115428506360267442012-11-03T05:42:31.023-07:002012-11-03T05:42:31.023-07:00रोमांच कारी पुलक और स्पर्श की आंच को शब्दों में ढ़...रोमांच कारी पुलक और स्पर्श की आंच को शब्दों में ढ़ाल दिया है .शुक्रिया आपकी मेरे लिए महत्वपूर्ण टिपण्णी का .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post-73702528934885609132012-11-03T00:43:20.805-07:002012-11-03T00:43:20.805-07:00इस ब्लाग को फॉलो करने का माध्यम बनाइयेइस ब्लाग को फॉलो करने का माध्यम बनाइयेyashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post-84969166697713944792012-11-03T00:41:36.264-07:002012-11-03T00:41:36.264-07:00कभी बाँहों में भर- भर के मुझको सताया
जिस्म के पोर-...कभी बाँहों में भर- भर के मुझको सताया<br />जिस्म के पोर-पोर को छू कर चंदन बनाया<br />सुन्दर अभिव्यक्ति<br />yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post-78930346741568727412012-11-02T23:01:06.993-07:002012-11-02T23:01:06.993-07:00behtareen...
aapne to sajan ke liye dil hi nikal k...behtareen...<br />aapne to sajan ke liye dil hi nikal kar rakh diya..:)मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post-56605774101096843312012-11-02T21:05:50.532-07:002012-11-02T21:05:50.532-07:00मस्त भावाव्यक्ति ...
शुभकामनायें आपको !
मस्त भावाव्यक्ति ...<br />शुभकामनायें आपको !<br />Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post-35000172858544173242012-11-02T20:57:15.464-07:002012-11-02T20:57:15.464-07:00आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए ...आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं<br />संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post-86455126101188898292012-11-02T20:54:34.361-07:002012-11-02T20:54:34.361-07:00बहुत खूब .....जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्ति...बहुत खूब .....जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में<br />संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post-301687853124206992012-11-02T18:21:37.753-07:002012-11-02T18:21:37.753-07:00 सितम कितने ढाए कितना दिल को रुलाया
कभी मेहंदी ... सितम कितने ढाए कितना दिल को रुलाया <br />कभी मेहंदी रचाया तो कभी बिंदियाँ सजाया <br /><br /> Dil ko jhkjhor dene vali gazal, badhayee madhu ji, दिल के तारों को तुमने कितना छेड़ा बहक कर <br />कभी पायल उतारी तो कभी नथुनी सजाया <br /><br />भोले दिखने में सजन तुम तो लगते बहुत हो <br />कितना शातिर सजन मेरा जो मुझको है भाया <br />Aziz Jaunpurinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post-82622899099221721582012-11-02T12:11:39.067-07:002012-11-02T12:11:39.067-07:00मोहतरमा स्पैम से टिपण्णी निकालें हमारी प्लीज़ .मोहतरमा स्पैम से टिपण्णी निकालें हमारी प्लीज़ .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post-12892974056736230162012-11-02T12:10:41.651-07:002012-11-02T12:10:41.651-07:00सजन
सजन तुमने ही तो हमको शराबी बनाया
निगाहों...<br /> सजन <br />सजन तुमने ही तो हमको शराबी बनाया <br />निगाहों से जी भर- भर कर मुझको पिलाया <br /><br />कभी बाँहों में भर- भर के मुझको सताया <br />जिस्म को पोर को छू -छू कर चंदन बनाया<br /><br />सताया बहुत मुझको पाकर अकेले में तुमने <br />कभी जुल्फें सवारीं तो कभी आँचल उड़ाया<br /><br />सितम कितने ढाए कितना दिल को रुलाया <br />कभी मेहंदी रचाया तो कभी बिंदियाँ सजाया <br /><br />दिल के तारों को तुमने कितना छेड़ा बहक कर <br />कभी पायल उतारी तो कभी नथुनी सजाया <br /><br />भोले दिखने में सजन तुम तो लगते बहुत हो <br />कितना शातिर सजन मेरा जो मुझको है भाया <br /><br /> मधू "मुस्कान"<br /><br />अनुभूतियों का शब्दों का पैरहन ही नहीं जिस्म मुहैया करवाया है कवियित्री बहुत सुन्दर रचना .<br /><br />हमारी टिप्पणियाँ स्पैम बोक्स में जा रहीं हैं निकालें उन्हें आप .शुक्रिया भाई जान इस जानकारी को साझा करने के लिए .<br /> virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post-89666782012297233342012-11-02T12:02:29.930-07:002012-11-02T12:02:29.930-07:00सजन
सजन तुमने ही तो हमको शराबी बनाया
निगाहों...सजन <br />सजन तुमने ही तो हमको शराबी बनाया <br />निगाहों से जी भर- भर कर मुझको पिलाया <br /><br />कभी बाँहों में भर- भर के मुझको सताया <br />जिस्म को पोर को छू -छू कर चंदन बनाया<br /><br />सताया बहुत मुझको पाकर अकेले में तुमने <br />कभी जुल्फें सवारीं तो कभी आँचल उड़ाया<br /><br />सितम कितने ढाए कितना दिल को रुलाया <br />कभी मेहंदी रचाया तो कभी बिंदियाँ सजाया <br /><br />दिल के तारों को तुमने कितना छेड़ा बहक कर <br />कभी पायल उतारी तो कभी नथुनी सजाया <br /><br />भोले दिखने में सजन तुम तो लगते बहुत हो <br />कितना शातिर सजन मेरा जो मुझको है भाया <br /><br /> मधू "मुस्कान"<br /><br />अनुभूतियों का शब्दों का पैरहन ही नहीं जिस्म मुहैया करवाया है कवियित्री बहुत सुन्दर रचना .<br /> virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post-79075031123886155602012-11-02T12:00:31.049-07:002012-11-02T12:00:31.049-07:00हृदय की श्रेष्ठतम भावनाओं से निसृत उदगार हैं यह ....हृदय की श्रेष्ठतम भावनाओं से निसृत उदगार हैं यह .बधाई करवा चौथ की .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post-22992409512794795812012-11-02T11:59:02.047-07:002012-11-02T11:59:02.047-07:00सजन
सजन तुमने ही तो हमको शराबी बनाया
निगाहों...<br /> सजन <br />सजन तुमने ही तो हमको शराबी बनाया <br />निगाहों से जी भर- भर कर मुझको पिलाया <br /><br />कभी बाँहों में भर- भर के मुझको सताया <br />जिस्म को पोर को छू -छू कर चंदन बनाया<br /><br />सताया बहुत मुझको पाकर अकेले में तुमने <br />कभी जुल्फें सवारीं तो कभी आँचल उड़ाया<br /><br />सितम कितने ढाए कितना दिल को रुलाया <br />कभी मेहंदी रचाया तो कभी बिंदियाँ सजाया <br /><br />दिल के तारों को तुमने कितना छेड़ा बहक कर <br />कभी पायल उतारी तो कभी नथुनी सजाया <br /><br />भोले दिखने में सजन तुम तो लगते बहुत हो <br />कितना शातिर सजन मेरा जो मुझको है भाया <br /><br /> मधू "मुस्कान"<br /><br />अनुभूतियों का शब्दों का पैरहन ही नहीं जिस्म मुहैया करवाया है कवियित्री बहुत सुन्दर रचना .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-23726739530254206.post-55137274986574976352012-11-02T11:22:40.173-07:002012-11-02T11:22:40.173-07:00
दिल के तारों को तुमने कितना छेड़ा बहक कर
कभी पा...<br />दिल के तारों को तुमने कितना छेड़ा बहक कर <br />कभी पायल उतारी तो कभी नथुनी सजाया <br /><br />मोहतरमा कल भी इस पोस्ट पे टिपण्णी की थी देखिये खान्ग्रेसी स्पैम में होगी,जल्दी कीजिए ,स्पैम निगल न जाए .शुक्रिया मेरे ब्लॉग पे आने का इबारत लिख जाने का .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com