जब गीत मय अस्तित्व दोनों के मिलेंगें
सुरभित कामना के पुष्प अधरों पे खिलेंगें
नील नभ पर चांदनी इर्ष्या करेगी
जब बाहु- भुज में आबद्ध हम धू -धू जलेंगे
पहन कुसुमों के बसन जब हम हसेंगे
नील नभ के निर्मल हृदय में हलचल करेंगे
जब ले विभा की ज्योति हम चंचल बनेगें
हिम शैल-शिखरों पर तुहिन कण चुम्बन करेंगे
रे दामिनी ! जिस ठौर हम आलिगन करेंगे
त्रिपथगा के पुण्य जल से देवगण तर्पण करेगे
मधु "मुस्कान "
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