न वाइज़ रहे न ज़ाहिद
न वाइज़ रहे न ज़ाहिद कितने ज़ुल्म उठाओगे
अल्लाह की दुनियाँ में तुम कैसे रश्म निभाओगे
साधू के भेष ने सब कातिल ही दिख रहें हैं
क्या कुरआन पढ़ाओगे क्या गीता सुनाओगे
मोमिन हो या मुल्ला हो पंडित हो या पुजारी हो
सब जिश्म के प्यासे हैं क्या यही दुनियाँ को बताओगे
मंदिर हो या मस्ज़िद हो चर्च हो या गुरुद्वारा हो
इस ज़ुल्म की दुनियाँ में क्या सज़दे निभा पाओगे
कब राम को बुलाओगे कब रहमान को बुलाओगे
है वक्त बचा थोड़ा क्या घर को जलाओगे
रुक जाओ जरा सोचो तहज़ीब भी कुछ होती है
रजनीश का हम्माम क्या इस मुल्क को बनाओगे
रुक जाओ जरा सोचो तहज़ीब भी कुछ होती है
रजनीश का हम्माम क्या इस मुल्क को बनाओगे
मधु "मुस्कान"
वाइज़---धर्मोपदेशक
ज़ाहिद --- नियम संयम का पालन करनें वाला
बढ़िया है आदरणीया-
जवाब देंहटाएंआभार आपका-
अति उत्तम
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