दिल उगाना चाहता है
वो मुझको अपना बनाना चाहता है
मेरे दिल पर अपना दिल उगाना चाहता है
इक हादसे में कट गये दोनों हाथ मेरे
वो अब मुझको अपना हाथ देना चाहता है
आज-कल बहुत खामोंशियों में जी रहा है
मेरी आवाज़ मुझसे माँग लेना चाहता है
बदले वक्त की ताबीज़ पहना कर मुझे
फ़साना को कोई अंजाम देना चाहता है
बहुत उकता गया है अपनी जिंदगी से वो
मेरे दिल में वो इक घर बनाना चाहता है
परछाई बन मेरी वो साथ चलना चाहता है
वो मुझसे , मुझी को मांग लेना चाहता है
मधु "मुस्कान"
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जैसा नाम वैसी ही मधु मिश्रित रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
वो मुझको अपना बनाना चाहता है
जवाब देंहटाएंमेरे दिल पर अपना दिल उगाना चाहता है
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बहुत खूब मधु जी -बहुत सुन्दर !
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wah ! sahi mey madhur rachna....sundar
जवाब देंहटाएंBehtreen Panktiyan
जवाब देंहटाएंबहुत उकता गया है अपनी जिंदगी से वो
जवाब देंहटाएंमेरे दिल में वो इक घर बनाना चाहता है...
बहुत खूब !!! सुंदर गजल के लिए बधाई ! बधाई मधु जी,,,
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वाह क्या बात है," तयललुक इक नाम पाना चाहता है.............,हथेली पर उगाना दिल बहुत आसान है लेकिन,वो मेरे दिल पर हथेली उगाना चाहता है............, ये मुमकिन है कि दिल अपना दान कर दूँ ,
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब
बहुत उकता गया है अपनी जिंदगी से वो
जवाब देंहटाएंमेरे दिल में वो इक घर बनाना चाहता है................बहुत सुन्दर ...........
इक हादसे में कट गये दोनों हाथ मेरे
जवाब देंहटाएंवो अब मुझको अपना हाथ देना चाहता है ...
क्या बात है .. ये तो इन्तहा है प्रेम की ... लाजवाब शेर ...