एक दिन ढह जायगी
जिश्म की खुशबू , बुलाने तक है जा पहुँची
कभी थी कैद जो हसरत, वो ज़माने तक है जा पहुँची
एक दिन उड़ जायगी जिश्म का खुशबू तेरी
कहानी आग की अब जलाने तक है जा पहुँची
मुमकिन है नहीं दुआओं का अब कारगर होना
नज़ाकत हया के फूलों की मुरझाने तक है जा पहुँची
शराफ़त के नकाबों को उठा, घूमना रोज़ गलिओं में
बातें शराफ़त की लहू के घूँट पीने तक है जा पहुंची
हैं लगी अब तोड़ने हदें , आंधियाँ बेशर्मियों की
हैं लगी अब तोड़ने हदें , आंधियाँ बेशर्मियों की
जिश्म की खुद्गार्जियाँ खलिहानों तक है जा पहुंची
इबादत में छुपी चालें ,धोखा औ फरेबों की कहानी
बात अब चेहरों पर तमाचा लगाने तक है जा पहुंची
मधु"मुस्कान"
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंsuperb....
जवाब देंहटाएंएक दिन उड़ जायगी जिश्म का खुशबू तेरी
जवाब देंहटाएंकहानी आग की अब जलाने तक है जा पहुँची ..
इसके बाद बस यादें ही रह जाती हैं ... खत्म हो जाता है सब कुछ ...
एक ज़ोरदार प्रस्तुति वास्तव में तमाचा लगाने वाली रचना
जवाब देंहटाएंभावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
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