खूँ के दाग धुलेंगें
बचे हैं चीथड़े तन के गुनाहों की कहानी है
उधर उफ़नी जवानी है इधर गंगा का पानी है
नज़ारें अज़ीब हैं ख़ुद -ब- ख़ुद बंद हो गईं आँखें
हया जब-जब गिरी नाली में बहा आँखों से पानी है
खूँ के धब्बे न धुल सके लाख बरसातों के बाद
माथे पे लगे धब्बों की बड़ी लम्बी कहानी है
उनको मालूम न था जिश्मे-दौलत की कीमत,उफ़
चंद सिक्को पे थिरकती ज़िन्दगी की कहानी है
खुल गये हैं जिश्म के कुफ़लों के दहाने बेधड़क
हाय ये ज़िन्दगी , जिश्मे फ़ितरत की कहानी है
मधु "मुस्कान"
खुल गये हैं जिश्म के कुफ़लों के दहाने बेधड़क
हाय ये ज़िन्दगी , जिश्मे फ़ितरत की कहानी है
मधु "मुस्कान"
बढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरेया-
wah wah !kya khoob gazal....gehri baat
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंजिंदगी की तल्ख सच्चाईओं की उधेड़ बुन करती बेहतरीन गजल
जवाब देंहटाएंनज़ारें अज़ीब हैं ख़ुद -ब- ख़ुद बंद हो गईं आँखें
हया जब-जब गिरी नाली में बहा आँखों से पानी है
खूँ के धब्बे न धुल सके लाख बरसातों के बाद
माथे पे लगे धब्बों की बड़ी लम्बी कहानी है
खूँ के धब्बे न धुल सके लाख बरसातों के बाद
जवाब देंहटाएंमाथे पे लगे धब्बों की बड़ी लम्बी कहानी है
....बहुत खूब! बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
खूँ के धब्बे न धुल सके लाख बरसातों के बाद
जवाब देंहटाएंमाथे पे लगे धब्बों की बड़ी लम्बी कहानी है ..
बहुत उत्तम ... हर शेर कुछ नई कहानी कहता हुआ ... जीवन की कडुवी सचाइयां बयाँ ही हैं ...
बहुत सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंखूँ के धब्बे न धुल सके लाख बरसातों के बाद
जवाब देंहटाएंमाथे पे लगे धब्बों की बड़ी लम्बी कहानी है
...सच माथे का कलंक कभी नहीं धुलता ..
बहुत खूब लिखा आपने!
बहुत ही उम्दा गजल कही आपने.....
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