बहा आँखों से पानी है
बचे हैं चीथड़े तन के गुनाहों की कहानी है
कहीं उफ़नी जवानी है कहीं गंगा का पानी है
नज़्ज़ारे अज़ीब हैं ख़ुद -ब- ख़ुद बंद हो गईं आँखें
हया जब- जब गिरी नाली में बहा आँखों से पानी है
धब्बे खूँ के न धुल सके लाख बरसातों के बाद
माथे पर लगे धब्बों की बड़ी लम्बी कहानी है
उनको मालूम न था जिश्मे- दौलत की कीमत
उफ़ , चंद सिक्को पे थिरकती जिश्मे - जवानी है
या रब ये दुनियाँ है तुम्हारी या खूँ की दरिया है
जहाँ देखो ज़िधर देखो जिश्मे-तिज़ारत की कहानी है
या रब ये दुनियाँ है तुम्हारी या खूँ की दरिया है
जहाँ देखो ज़िधर देखो जिश्मे-तिज़ारत की कहानी है
मधु "मुस्कान"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें