ज़न्नत की हक़ीकत
हमने देखी है उनके ज़न्नत की हक़ीकत ,लेकिन
ऐ ख़ुदा उनका ज़न्नत तू उनको मुबारक कर दे
ऐसी ज़न्नत जहाँ जिश्म की कीमत लगाई जाती है
ऐसी ज़न्नत जहाँ जिश्म की कीमत लगाई जाती है
हुश्न बे-अदब हो मंडी की राह चलता हो जहाँ
उफ़ वो ज़न्नत और वो जन्नते -फ़ितरत,वो नज़ारा
अश्क आखों से मेरे लहू बन के टपक पड़ते हैं
उफ़ वो ज़न्नत और वो जन्नते -फ़ितरत,वो नज़ारा
अश्क आखों से मेरे लहू बन के टपक पड़ते हैं
मुझको तू बख्स दे जन्नत की फ़ितरतों से मेरे सलीम चिस्ती
मुझको लौटा दे मेरा दोज़ख़ ,मेरा दोज़ख तू मुझको मुबारक कर दे
मधु "मुस्कान"
बेहतरीन " मुझको तू बख्स दे जन्नत की फ़ितरतों से मेरे सलीम चिस्ती
जवाब देंहटाएंमुझको लौटा,दे मेरा दोज़ख़,मेरा दोज़ख तू मुझको मुबारक कर दे"
Nice
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंwah ! aur dusra shabd hi nahi mil raha mujhe.....bahut umda
जवाब देंहटाएंbahut khoob...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंअति सुंदर, ऐसी जन्नत नही चाहिए
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ...सार्थक लेखनी
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