धड़कन
हमारी धड़कन तुम्हारी धड़कन साथ -साथ क्यों धड़क रहीं हैं
तुम्हारें सीने की खामोशियाँ क्यों हमारें चेहरे पर दिख रहीं हैं
तुम्हारें क़दमों की आहटें क्यों हमारे दिल में मचल रहीं हैं
तुम्हारें सांसों की खुशबुएँ क्यों हमारे सांसों में चल रहीं हैं
तुम्हारे पावों की छागलें क्यों हमारे कानों में बज रहीं हैं
तुम्हारे होठों की हसरतें क्यों हमारे दिल में चहक रहीं हैं
तुम्हारे ख्वाबों की मंजिलों क्यों हमारे आँखों में दिख रहीं हैं
तुम्हारे गेसुओं की आवारगी में क्यों चिनारे खुशबू महक रहीं हैं
तुम्हारे चाहतों की बारिसें क्यों हमारे वज़ूद पर बरस रहीं हैं
तुम्हारे हुश्न की नज़र की ख़ातिर क्यों हमारी आँखें तरस रही हैं
हुआ वही था जो नियति में लिक्खा कुछ न कुछ तो होना था
उनकी ख्वाहिशों की इनायतें हमारे वज़ूद पर बरस रहीं हैं
मधु"मुस्कान "
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