इल्जाम मोहब्बत का मुझ पर लगा दिया
न थी मै करीब उसके न वो था करीब मेरे
कैसे कहूँ कि उसने बाँहों में भर लिया
है सच मगर कि उसने चाहा तो बहुत है
बस बात यही उसने दिल में छुपा लिया
पलकों में छुपा लेती गर पास वो होता
वो जब सामने भी आया नज़रें झुका लिया
इज़हारे - मोहब्बत वो कर नहीं सका
नज़रें झुका के उसने चेहरा छुपा लिया
चुपचाप उसने देखा मेरी तस्बीर एक बार
नज़रों की राह से मुझे दिल में बसा लिया
दुनिया है बड़ी ज़ालिम, ज़ालिम ही रहेगी
इल्ज़ाम सिरफिरों ने मुझ पर लगा दिया
मधु "मुस्कान"
पलकों में छुपा लेती गर पास वो होता
वो जब सामने भी आया नज़रें झुका लिया
इज़हारे - मोहब्बत वो कर नहीं सका
नज़रें झुका के उसने चेहरा छुपा लिया
चुपचाप उसने देखा मेरी तस्बीर एक बार
नज़रों की राह से मुझे दिल में बसा लिया
दुनिया है बड़ी ज़ालिम, ज़ालिम ही रहेगी
इल्ज़ाम सिरफिरों ने मुझ पर लगा दिया
मधु "मुस्कान"
nice feelings
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत बे बाक ,दो टूक खूब सूरत अभिव्यक्ति अर्थ पूर्ण आशिकी .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !बहुत खूब! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंदुनिया है बड़ी ज़ालिम, ज़ालिम ही रहेगी
इल्ज़ाम सिरफिरों ने मुझ पर लगा दिया
शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .
very nice feeling madhu ji
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