शनिवार, 6 अप्रैल 2013

मधु मुस्कान :इल्ज़ाम

   
 इल्ज़ाम 


 कहते हैं लोग मुझसे उसे अपना बना लिया 
 इल्जाम  मोहब्बत  का मुझ पर लगा दिया 

 न थी  मै करीब उसके न वो था करीब  मेरे  
 कैसे कहूँ  कि  उसने   बाँहों  में  भर लिया

 है सच  मगर कि  उसने  चाहा तो बहुत है 
 बस बात  यही  उसने दिल में छुपा लिया

 पलकों  में  छुपा  लेती  गर  पास वो  होता
 वो जब सामने भी आया नज़रें झुका लिया

 इज़हारे -  मोहब्बत   वो  कर   नहीं सका 
 नज़रें झुका  के उसने  चेहरा  छुपा लिया

 चुपचाप उसने देखा मेरी तस्बीर एक बार
 नज़रों की राह से मुझे दिल में बसा लिया

 दुनिया है बड़ी ज़ालिम, ज़ालिम ही रहेगी
 इल्ज़ाम सिरफिरों ने मुझ  पर लगा दिया

                                      मधु "मुस्कान"
  





5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना, बधाई.

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  2. बहुत बे बाक ,दो टूक खूब सूरत अभिव्यक्ति अर्थ पूर्ण आशिकी .

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  3. बहुत खूब !बहुत खूब! बहुत खूब !

    दुनिया है बड़ी ज़ालिम, ज़ालिम ही रहेगी
    इल्ज़ाम सिरफिरों ने मुझ पर लगा दिया

    शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .

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