थोड़ा वक्त मिला और मैं हाज़िर
फ़लक से चादनी उतरे औ सरे बाम रहे
सआदत उनको मिले खराबी मेरे नाम रहे
हम आश्ना रहें उनकी दिल फरेबी से
तहजीब जिंदा रहे औ दुआ -सलाम रहे
हजार पर लगें उनकी बलंदिओं को
महफूज रिवायत रहे,न जेर-ए-दाम रहे
हूज़ूम यारों का उनकी गली से गुज़रे
औ नाम इक फ़क़ीर का बदनाम रहे
उनकी महफ़िल उन्हें मुबारक हो
लाख अँधेरा मेरे घर सरे -शाम रहे
मधु "मुस्कान"
सआदत--- अच्छाई
आश्ना---जानकार
रिवायत---परम्पराएँ
जेर-ए-दाम--- फन्दे में
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