मै आचनक हँस पड़ी
क्यों कि उसके सीने में
मेरी साँसें धड़कती हैं
मेरी साँसें धड़कती हैं
मेरी उँगलियों पर
उसकी साँसें थिरकती हैं
और मेरी उंगलियाँ
उसकी आदतों में सुमार हैं
बगैर मेरी अँगुलियों के
वह एक कदम भी
नहीं चल सकता
और मेरी उंगलियाँ
उसकी आदतों में सुमार हैं
बगैर मेरी अँगुलियों के
वह एक कदम भी
नहीं चल सकता
कल उसकी मौत की झूठी खबर
मैने ही उड़ाई थी
मैने ही उड़ाई थी
यह मेरी खुद की
खुद से लड़ाई थी
खुद से लड़ाई थी
क्यों कि वह नहीं चाहता कि ,
हम दोनों
दो अलग -अलग पतों पर
अलग- अलग रहें
अलग- अलग रहें
मैं अचानक हँस पड़ी
हम साथ साथ ही रहते हों
कि पता एक होने का मतलब
कत्तई यह नहीं है किहम साथ साथ ही रहते हों
और अलग- अलग होने का मतलब
हम अलग- अलग रहते हों
बात सिर्फ चाहत की है
और चाहत साथ -साथ
रहने और न रहने की
मोहताज कभी न रही
और न कभी होगी
बात सिर्फ चाहत की है
और चाहत साथ -साथ
रहने और न रहने की
मोहताज कभी न रही
और न कभी होगी
मधु "मुस्कान"
सुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंबढ़िया है आदरेया-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार आदरेया.
जवाब देंहटाएंबढिया, अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा सुंदर प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRecent Post: सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार,
वाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति मैं अचानक हँस पड़ी
जवाब देंहटाएंकि पता एक होने का मतलब
कत्तई यह नहीं है कि
हम साथ साथ ही रहते हों
और अलग-अलग होने का मतलब
हम अलग- अलग रहते हों
बात सिर्फ चाहत की है
और चाहत साथ -साथ
रहने और न रहने की
मोहताज कभी न रही
और न कभी होगी!
uttm
जवाब देंहटाएंबहुत खूब एक दम अलग अंदाज़ बयानी
जवाब देंहटाएंअत्युत्तम
जवाब देंहटाएंपते बेशक अलग हों....साथ साथ फिर भी हैं....
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर!!!!!
अनु
बहुत अच्छे भाव....
जवाब देंहटाएं~सादर!!!