तेरा शाना न था 
   उफ़,    मेरी    वफ़ात   पे ,  तेरा  शाना  न था               
   जब   मेरी   मैयत   उठी,  मेरा  दीवाना न था 
    फ़ज़ा  में यूँ ही नहीं  नीलम हो  गईं  सांसे मेरी 
    मौत की खामोशियाँ  थी, उसका  आना न था 
    चन्द    रोज़ा   और   भी  जी  लेते   उधार में 
     ये मेरी  बेचारगी  थी  , मेरा   परवाना  न था 
    अफ़सोस,   तमाम   उम्र   मैं   मुंतज़िर  रहा               
    ये अज़ाब था ख़ुलूस का,मौत का आना न था 
    मुद्दतों ढूँढ़ा करेंगीं मेरी जूस्तजू,मेरी ख्वाहिशें
    ज़ुर्म था  ज़मीर   का , यूँ हीँ मेरा जाना न था 
    दो गज़ जमी भी न मयस्सर हुई उल्फत को 
    मेरे गुनाह थे,मेरा ज़ुर्म था,मेरा दीवाना न था
वफ़ात - मौत , शाना -कन्धा , मुन्तज़िर -प्रतीक्षा रत ,
अज़ाब -मुसीबत , ख़ुलूस -सच्चाई
मधु "मुस्कान"
वफ़ात - मौत , शाना -कन्धा , मुन्तज़िर -प्रतीक्षा रत ,
अज़ाब -मुसीबत , ख़ुलूस -सच्चाई
मधु "मुस्कान"
waah! kya likha hai aap ne padh kar dil baag baag ho gaya
जवाब देंहटाएंउफ़, मेरी वफ़ात पे , तेरा शाना न था
जवाब देंहटाएंजब मेरी मैयत उठी, मेरा दीवाना न था
....बहुत उम्दा...भावपूर्ण मर्मस्पर्शी ग़ज़ल...
जहाँ एक तरफ वेदना के स्वर मुखर हो रहे हैं वहीं
जवाब देंहटाएंदूसरी तरफ चाहत की उत्कट अभिलाषा , बेहद संवेदनशील प्रस्तुति न्यू पोस्ट -हाथ मिला कर*** उफ़,मेरी वफ़ात पे , तेरा शाना न था
जब मेरी मैयत उठी, मेरा दीवाना न था
फ़ज़ा में यूँ ही नहीं नीलम हो गईं सांसे मेरी
मौत की खामिशियाँ थी, उसका आना न था
फाग मुबारक फाग की रीत और प्रीत मुबारक
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी गजल कही है -
अफ़सोस, तमाम उम्र मैं मुंतज़िर रहा
ये अज़ाब था ख़ुलूस का,मौत का आना न था
अलफ़ाज़ के मनाई कहके और भी कीमत बढ़ा दी है आपने -अज़ाब का एक मतलब ज़लज़ला भी होता है ,ज़लज़ला बोले तो भू कंप -
आये कुछ अब्र ,कुछ शराब आये ,
उसके बाद आये जो अज़ाब आये .
कर रहा था गेम जहां का हिसाब ,
आज तुम बे -हिसाब याद आये .
Virendra Sharma @Veerubhai1947 32m
जवाब देंहटाएंram ram bhai
मुखपृष्ठ
शनिवार, 23 मार्च 2013
आखिर सारा प्रबंध इटली का ही तो है यहाँ .
http://veerubhai1947.blogspot.in/
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Virendra Sharma @Veerubhai1947 38m
इटली के ही पास गिरवीं है भारत की नाक http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2013/03/blog-post_23.html …
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बहुत प्यारी गजल कही है -
जवाब देंहटाएंअफ़सोस, तमाम उम्र मैं मुंतज़िर रहा
ये अज़ाब था ख़ुलूस का,मौत का आना न था
अलफ़ाज़ के मानी (मायने ) कहके और भी कीमत बढ़ा दी है आपने -अज़ाब का एक मतलब ज़लज़ला भी होता है ,ज़लज़ला बोले तो भू कंप -
आये कुछ अब्र ,कुछ शराब आये ,
उसके बाद आये जो अज़ाब आये .
कर रहा था गेम जहां का हिसाब ,
आज तुम बे -हिसाब याद आये .
Virendra Sharma @Veerubhai1947 33m
जवाब देंहटाएंram ram bhai
मुखपृष्ठ
शनिवार, 23 मार्च 2013
आखिर सारा प्रबंध इटली का ही तो है यहाँ .
http://veerubhai1947.blogspot.in/
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Virendra Sharma @Veerubhai1947 39m
इटली के ही पास गिरवीं है भारत की नाक http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2013/03/blog-post_23.html …
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