मेरा नसीब है
कि तू , और तू हीं तू है
मेरी जिंदगी मेरा नसीब है
ये जो हुश्न है , फ़रेब है
ये इश्क कितना अज़ीब है
ये खुलूस है , ये अज़ाब है
तूँ मेरी जिंदगी का ज़रीब है
तेरा हुश्न है, मेरा इश्क है
यही सलीब है यही नसीब है
धुवाँ -धुवाँ है ये जो उठ रहा
मेरे दिल में है, औ क़रीब है
जाँ तो दे दूँ तेरे इसारे पर
हाय, ये दिल तो तेरा हबीब है
मैं तेरा मुरीद हूँ, तू खतीब है
यही अर्ज़ है यही फ़र्ज़ है
तेरा इश्क दिल के करीब है
ख़ुलूस -सच्चाई ,अज़ाब -दर्द /कष्ट ,खतीब -उपदेशक (इस्लाम धर्म का ),हबीब -दोस्त
ज़रीब -मापने का उपकरण ,मुंतजिर -इंतजार करने वाला
मधु "मुस्कान"
Virendra Kumar Sharma ने कहा…
जवाब देंहटाएंकि तूँ , और तूँ हीं तूँ है
मेरी जिंदगी मेरा नशीब है
कि तू ,और तेरा तू ही तू है ,
मेरी ज़िन्दगी मेरा नसीब है .
ये मुलायम सिंह यादव का असर नासिका शब्दों के प्रयोग का आपमें नहीं आना चाहिए -तू ,तू ,तू विज्ञ है ,विज्ञ होना ही तेरा नसीब है (नशीब नहीं ).
1 अप्रैल 2013 1:29 pm
जवाब देंहटाएंकि तू ,और तू ही तू है ,
मेरी ज़िन्दगी मेरा नसीब है .बढ़िया अभिव्यक्ति है प्रतीक भी नए लिए गए हैं रचना में .शुक्रिया मोतरमा
आपकी ताज़ा टिप्पणियों का .
बहुत ही बढ़िया ....
जवाब देंहटाएंसूफियाना अंदाज़ में बेहद गंभीर प्रस्तुति ये जो हुश्न है , फ़रेब है
जवाब देंहटाएंये इश्क कितना अज़ीब है
ये खुलूस है , ये अज़ाब है
तूँ मेरी जिंदगी का ज़रीब है
तेरा हुश्न है, मेरा इश्क है
यही सलीब है यही नसीब है
धुवाँ -धुवाँ है ये जो उठ रहा
मेरे दिल में है, औ क़रीब है
जाँ तो दे दूँ तेरे इसारे पर
हाय, ये दिल तो तेरा हबीब है
मुंतजिर हूँ मैं ता - उम्र का
मैं तेरा मुरीद हूँ, तू खतीब है
यही अर्ज़ है यही फ़र्ज़ है
तेरा इश्क दिल के करीब है