शुक्रवार, 22 मार्च 2013

मधु सिंह : मेरा नसीब है

         मेरा  नसीब  है 



      कि   तू  ,  और   तू   हीं  तू है 
     मेरी   जिंदगी   मेरा   नसीब है 

     ये    जो    हुश्न    है ,   फ़रेब है 
     ये    इश्क   कितना   अज़ीब है 

     ये   खुलूस   है  ,  ये   अज़ाब है 
     तूँ   मेरी  जिंदगी  का  ज़रीब है 
   
     तेरा   हुश्न    है,  मेरा   इश्क है 
     यही  सलीब   है  यही  नसीब है 

     धुवाँ  -धुवाँ  है  ये  जो उठ रहा 
     मेरे  दिल  में  है,  औ क़रीब है 

     जाँ   तो  दे  दूँ  तेरे   इसारे  पर  
     हाय, ये  दिल तो तेरा  हबीब है 

     मुंतजिर   हूँ  मैं  ता - उम्र का
     मैं  तेरा  मुरीद हूँ, तू  खतीब है 

     यही   अर्ज़   है   यही   फ़र्ज़  है
     तेरा  इश्क   दिल  के  करीब है 
  
           ख़ुलूस -सच्चाई ,अज़ाब -दर्द /कष्ट ,खतीब -उपदेशक (इस्लाम  धर्म का ),हबीब -दोस्त 
        ज़रीब -मापने का उपकरण  ,मुंतजिर -इंतजार करने  वाला       
               मधु "मुस्कान"
  

     

4 टिप्‍पणियां:

  1. Virendra Kumar Sharma ने कहा…
    कि तूँ , और तूँ हीं तूँ है
    मेरी जिंदगी मेरा नशीब है

    कि तू ,और तेरा तू ही तू है ,

    मेरी ज़िन्दगी मेरा नसीब है .

    ये मुलायम सिंह यादव का असर नासिका शब्दों के प्रयोग का आपमें नहीं आना चाहिए -तू ,तू ,तू विज्ञ है ,विज्ञ होना ही तेरा नसीब है (नशीब नहीं ).

    1 अप्रैल 2013 1:29 pm

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  2. कि तू ,और तू ही तू है ,

    मेरी ज़िन्दगी मेरा नसीब है .बढ़िया अभिव्यक्ति है प्रतीक भी नए लिए गए हैं रचना में .शुक्रिया मोतरमा
    आपकी ताज़ा टिप्पणियों का .

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  3. सूफियाना अंदाज़ में बेहद गंभीर प्रस्तुति ये जो हुश्न है , फ़रेब है
    ये इश्क कितना अज़ीब है

    ये खुलूस है , ये अज़ाब है
    तूँ मेरी जिंदगी का ज़रीब है

    तेरा हुश्न है, मेरा इश्क है
    यही सलीब है यही नसीब है

    धुवाँ -धुवाँ है ये जो उठ रहा
    मेरे दिल में है, औ क़रीब है

    जाँ तो दे दूँ तेरे इसारे पर
    हाय, ये दिल तो तेरा हबीब है

    मुंतजिर हूँ मैं ता - उम्र का
    मैं तेरा मुरीद हूँ, तू खतीब है

    यही अर्ज़ है यही फ़र्ज़ है
    तेरा इश्क दिल के करीब है

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