निखर सी गई
प्यार ऐसा मिला
मै निखर सी गई
हो खफ़ा तुमने मुझको
भुला क्या दिया
रेत सहरा का बन
भुला क्या दिया
रेत सहरा का बन
मै बिखर सी गई
तुमने नज़रें मिला
सर झुका क्या लिया
एक बुझता दिया बन
मै तिमिर हो गई
मै तिमिर हो गई
ओढ़ ली तुमने चादर
खफीद्न की क्या
खफीद्न की क्या
जिश्म से रूह मेरी
निकल उड़ सी गई
मेरी चाहत को तुमने
भुला क्या दिया
बन गवाही मै, खुद
सामने अड़ ही गई
प्यार तेरा क्यों मुझसे
यूँ जुदा हो गया
जूनूने हद से गुज़र
मै ढह सी गई
तुमने मेरी तरफ खुश
हो निहारा जो क्या
प्यार की रूह बन
जिश्म में उतर सी गई
मधु "मुस्कान "
निकल उड़ सी गई
मेरी चाहत को तुमने
भुला क्या दिया
बन गवाही मै, खुद
सामने अड़ ही गई
प्यार तेरा क्यों मुझसे
यूँ जुदा हो गया
जूनूने हद से गुज़र
मै ढह सी गई
तुमने मेरी तरफ खुश
हो निहारा जो क्या
प्यार की रूह बन
जिश्म में उतर सी गई
मधु "मुस्कान "
बहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंवाह ...अनुपम भाव संयोजन ...
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति,,,
जवाब देंहटाएंRecent Post: सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार,
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति,सादर आभार.
हटाएंबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्यार की अनुभूति ,सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंlatest post सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
latest postऋण उतार!
क्या बात है ?बहुत खूब कही है जो भी कही है .
जवाब देंहटाएंहो खफ़ा तुमने मुझको
भुला क्या दिया
रेत सहरा का बन
मै बिखर सी गई
वाह...!
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक प्रस्तुति!
आभार!
आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (20-03-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ |
उत्कृष्ट प्रस्तुति.
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जवाब देंहटाएंओढ़ ली तुमने चादर
खफीद्न की क्या
जिश्म से रूह मेरी
निकल उड़ सी गई
उत्कृष्ट प्रस्तुति.
बहुत खूब मधु मुस्कान जी , दिल को छूने वाली
जवाब देंहटाएंखूबशूरत भावनाओं की सुन्दर प्रस्तुति *****^^^^^******* ओढ़ ली तुमने चादर
खफीद्न की क्या
जिश्म से रूह मेरी
निकल उड़ सी गई
मेरी चाहत को तुमने
भुला क्या दिया
बन गवाही मै, खुद
सामने अड़ ही गई
प्यार तेरा क्यों मुझसे
यूँ जुदा हो गया
जूनूने हद से गुज़र
मै ढह सी गई
तुमने मेरी तरफ खुश
हो निहारा जो क्या
प्यार की रूह बन
जिश्म में उतर सी गई
तुमने नज़रें मिला
जवाब देंहटाएंसर झुका क्या लिया
एक बुझता दिया बन
मै तिमिर हो गई
...वाह! बहुत उम्दा अभिव्यक्ति...
ओढ़ ली तुमने चादर
जवाब देंहटाएंखफीद्न की क्या
जिश्म से रूह मेरी
निकल उड़ सी गई
wah jabab nahi..behtareen..
बहुत सुन्दर ......
जवाब देंहटाएंबेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.
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