मेरी गलियाँ मेरा ठिकाना पूँछती हैं
(अज़ीज़ जौनपुरी )
ज़िन्दगी राह भी है ,रहबर भी है, गर और करीब से ज़िन्दगी से गुफ़्तगू की जाय तो वो -
मेरे होठों पे मचलती गज़ले
मेरे दोस्तों तुझको सलाम करती हैं
तमाम खुशियाँ तुझे नशीब हों
मेरी नज़रें बा-अदब सिर्फ़ ये कलाम पढ़ती हैं
(अज़ीज़ जौनपुरी )
तो मैं अब इस सलामी के साथ यह बतलाना चाहूँगी की मेरे सफ़र से जुड़े इलाके पश्चिम बंगाल एवं उड़ीसा के वे इलाके थे जिनका धर्म, कला, संस्कृति ,मनोरंजन ,विज्ञानं एवम रोमांच से गहरा सम्बन्ध है ,मेरी यात्रा का पहला पड़ाव कालीकट की माँ काली का था जहाँ मैंने आप सब के लिए दोनों हाथ उठा कर दुआयें मांगीं मैं इसके पश्चात आप सभी की खुशहाली के लिए दक्षिणेश्वर में माथा टेका और फ़िर पुरी के श्री जगन्नाथ मन्दिर में नतमस्तक हुई ---
वैसे तो इस मुल्क के ज़र्रे -ज़र्रे में ख़ुदा दिखता है
ये बात और है कि मैं दर पे दस्तक दे आई
(अज़ीज़ जौनपुरी )
स्थापत्य कला और धार्मिक दृष्टि से अपने वैभव पर मौन कोणार्क का सूर्य मन्दिर बरबस अपने ऊपर से नज़र न हटाने के लिए विवस कर देता है,
फ़िर नन्दन कानन जहाँ शेरों के उन्मुक्त दहाणों के बीच हमारी ज़िन्दगी कैद थी एक- सफारी के भीतर -यह मेरी ज़िन्दगी के रोमाँच का चरम क्षण था स्वेत सिंह से मुलाकत ,बस कुछ मत पूँछिये ,दीघा के तटीय क्षेत्रों के पग को प्रक्षालित करती समुद्री लहरों की छाती पर राफ्टिंग का रोमाँच की बात ही कुछ और थी, रोमाँच के क्षणों के उपरान्त कुछ यूँ कह ले कि ---
जब -जब मेरे यार ने मेरी ज़ुल्फ़ों में फूल बांधे
लाखों हसीन ख़्वाब मेरे दिल में उतर गए
(अज़ीज़ जौनपुरी )
और फ़िर चिलका झील की यात्रा और सार्क के दर्शन ने यात्रा को कुछ अलग अन्दाज ही दे गया
विज्ञान नगर कोलकत्ता की त्रिघातीय छाया चित्रों में केलिफोर्निया के सिकोया के जंगलों के इतिहास की जिन पर्तों को उधेड़ा गज़ब की थीं रोमाँच का वह पल सायद कभी नहीं विस्मृत होगा जब विज्ञान के उन्नयकों में से एक सिकोया ब्रिक्ष के शीर्ष भाग से कोटड़ के भीतर 120 फ़िट अन्दर तक प्रवेश कर विकास की परतों की उधेड़ बुन कर विज्ञान के इतिहास में चंद हर्फों को जोड़ देता है ,अब बस और फ़िर कभी क्यों कि
मन बहुत उदास है उत्तराखण्ड की बरबादी को देख कर
मधु "मुस्कान"
(अज़ीज़ जौनपुरी )
ज़िन्दगी राह भी है ,रहबर भी है, गर और करीब से ज़िन्दगी से गुफ़्तगू की जाय तो वो -
मेरे दोस्तों तुझको सलाम करती हैं
तमाम खुशियाँ तुझे नशीब हों
मेरी नज़रें बा-अदब सिर्फ़ ये कलाम पढ़ती हैं
(अज़ीज़ जौनपुरी )
तो मैं अब इस सलामी के साथ यह बतलाना चाहूँगी की मेरे सफ़र से जुड़े इलाके पश्चिम बंगाल एवं उड़ीसा के वे इलाके थे जिनका धर्म, कला, संस्कृति ,मनोरंजन ,विज्ञानं एवम रोमांच से गहरा सम्बन्ध है ,मेरी यात्रा का पहला पड़ाव कालीकट की माँ काली का था जहाँ मैंने आप सब के लिए दोनों हाथ उठा कर दुआयें मांगीं मैं इसके पश्चात आप सभी की खुशहाली के लिए दक्षिणेश्वर में माथा टेका और फ़िर पुरी के श्री जगन्नाथ मन्दिर में नतमस्तक हुई ---
वैसे तो इस मुल्क के ज़र्रे -ज़र्रे में ख़ुदा दिखता है
ये बात और है कि मैं दर पे दस्तक दे आई
(अज़ीज़ जौनपुरी )
स्थापत्य कला और धार्मिक दृष्टि से अपने वैभव पर मौन कोणार्क का सूर्य मन्दिर बरबस अपने ऊपर से नज़र न हटाने के लिए विवस कर देता है,
फ़िर नन्दन कानन जहाँ शेरों के उन्मुक्त दहाणों के बीच हमारी ज़िन्दगी कैद थी एक- सफारी के भीतर -यह मेरी ज़िन्दगी के रोमाँच का चरम क्षण था स्वेत सिंह से मुलाकत ,बस कुछ मत पूँछिये ,दीघा के तटीय क्षेत्रों के पग को प्रक्षालित करती समुद्री लहरों की छाती पर राफ्टिंग का रोमाँच की बात ही कुछ और थी, रोमाँच के क्षणों के उपरान्त कुछ यूँ कह ले कि ---
जब -जब मेरे यार ने मेरी ज़ुल्फ़ों में फूल बांधे
लाखों हसीन ख़्वाब मेरे दिल में उतर गए
(अज़ीज़ जौनपुरी )
और फ़िर चिलका झील की यात्रा और सार्क के दर्शन ने यात्रा को कुछ अलग अन्दाज ही दे गया
विज्ञान नगर कोलकत्ता की त्रिघातीय छाया चित्रों में केलिफोर्निया के सिकोया के जंगलों के इतिहास की जिन पर्तों को उधेड़ा गज़ब की थीं रोमाँच का वह पल सायद कभी नहीं विस्मृत होगा जब विज्ञान के उन्नयकों में से एक सिकोया ब्रिक्ष के शीर्ष भाग से कोटड़ के भीतर 120 फ़िट अन्दर तक प्रवेश कर विकास की परतों की उधेड़ बुन कर विज्ञान के इतिहास में चंद हर्फों को जोड़ देता है ,अब बस और फ़िर कभी क्यों कि
मन बहुत उदास है उत्तराखण्ड की बरबादी को देख कर
मधु "मुस्कान"
जवाब देंहटाएंबेहद दिल काश अंदाज़ में प्रस्तुत की है आपने अपनी ज़ोरदार वापसी एक सांस्कृतिक भ्रमण से लौट के .ॐ शान्ति .
so nice
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