मधु सिंह : ज़ज्बात
ज़िन्दगी से हमको कोई शिकायत नहीं रही
वफ़ा परस्ती की किसी से कोई चाहत नहीं रही
मेरा होना ही तूफ़ान सा खलता रहा जिनको
उन दुश्मनों से भी कभी कोई अदावत नहीं रही
मधु "मुस्कान"
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