(ब्रिटेन यात्रा की पूर्व संध्या पर)
आप के ते हुस्न को हथियार होना चाहिए
नजर जब भी उठे ज़िगर के पार होना चाहिए
समझा दे अपनी यादों को रोज़ छुट्टी न मांगें
इश्क के तकवीम* में न इतवार होना चाहिए
आप के दिल में मैनें अपनी दुनिया बसा ली
आप को तो नाखुदा की पतवार होना चाहिए
इश्क मकसद ,इश्क मंजिल, इश्क ही मेरा ख़ुदा
आप के हुस्न को तो परवरदिगार होंना चाहिए
आप की आँखोंने आकर मुझसे अकेले में कहा
आप के इंकार को इकरार होना चाहिए
आजिज़ आ गई मैं ए जिंदगी तुझसे बहुत
जिंदगी में भी कहीं कोई किरदार होना चाहिए
*तकवीम -- केलेंडर मधु "मुस्कान"
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