कब अश्रु मेरे सम्मानित होंगे , कब मुझको याद किया जाएगा
जीवन के इस महातिमिर में, कब नव घृत-दीप जलाया जाएगा
अपमान- पत्र की माला पहने , कहाँ - कहाँ मैं भटक रही हूँ
युग -युग से अपमानित प्रतिमा पर ,कब पुष्प चढाया जाएगा
लिख - लिख अश्रु गीत मैंने , पोथी एक नहीं कितनी भर डाली
कब गीत मेरे गाये जायेंगे, कब मेरा नाम लिया जाएगा
नहीं जल सका दिया प्यार का , जीवन झंझावत बन गया
कब अरमानों की सेज सजेगी , कब हार पिन्हाया जाएगा
सूली ऊपर सेज पिया की , नहीं मिलन की आस बची अब
कब खुशिओं की समिधा महकेगी ,कब सूली पे चढ़ाया जाएगा
मधु "मुस्कान"
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