सोमवार, 5 मई 2014

मधु सिंह : कब अश्रु मेरे सम्मानित होंगें


 कब अश्रु मेरे सम्मानित होंगे  , कब मुझको याद किया जाएगा
 जीवन के इस महातिमिर में, कब  नव घृत-दीप जलाया जाएगा

 अपमान- पत्र  की  माला  पहने , कहाँ - कहाँ   मैं   भटक  रही  हूँ

 युग -युग  से अपमानित प्रतिमा  पर ,कब पुष्प चढाया  जाएगा

 लिख - लिख अश्रु गीत मैंने , पोथी  एक नहीं कितनी भर डाली

 कब  गीत   मेरे   गाये  जायेंगे, कब  मेरा  नाम  लिया    जाएगा 

नहीं जल  सका  दिया  प्यार  का ,  जीवन  झंझावत  बन  गया
कब अरमानों  की  सेज  सजेगी ,  कब   हार  पिन्हाया  जाएगा

सूली  ऊपर  सेज  पिया की , नहीं  मिलन  की  आस  बची अब
कब खुशिओं की समिधा महकेगी ,कब सूली पे चढ़ाया जाएगा
 
                                                            मधु "मुस्कान"

 










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