शनिवार, 23 अगस्त 2014

मधु सिंह : चांदनी रात में तुम नहाया करो




दिये   प्यार  के  बुझ  न  जाएँ  कहीं  चरागे  - मोहब्बत  जलाया  करो 
सुर्ख होठों पे फूलों की कलियाँ सजा खुद न आया करो तो बुलाया करो 


नाम   ले -  ले  मेरा  गुनगुनाया  करो
चांदनी   रात   में  तुम    नहाया  करो
चूम  कर अपनें  होठों से  तस्बीर मेरी 
अपनी किताबों में मुझको छुपाया करो


दिये प्यार  के  बुझ  न  जाएँ  कहीं .............



 साम   ढलते      अँधेरा   पसर   जायगा
दिये  पलकों   पे   अपने  जलाया    करो 
देख  दर्पण  में  क्या  ये सजना सवरना 
दिल  के  दर्पण से खुद को सजाया  करो  

दिये   प्यार    के    बुझ  न  जाएँ  कहीं .........


ज़ख्म भर जायगें ख्वाब खिल  जायगें
चांदनी  की तरह  खिलखिलाया  करो 
चूम  लेगी   तुम्हें   प्रात  की  लालिमा
तुम  इशारों  से  मुझको  बुलाया  करो


 दिये   प्यार    के   बुझ    न जाएँ कहीं  ................


 रात   थम   जायगी   चाँद  आंहें भरेगा  
 भर-भर  बाँहों  में  मुझको सताया करो 
 अपने ख्वाबों  को चूनर पहना  कर नई
 अंधेरों  को   रौशनी  तुम  दिखाया करो 


 दिये    प्यार   के    बुझ  न  जाएँ  कहीं  ...............



 ख्वाहिशें  आस्मा  की   ज़मी  चूम  लेंगीं    
अपनी पलकों पे थपकियों से सुलाया करो 
इक   मूरत   मेरी   अपनें   हाथो   से  गढ़ 
अपनें   दाँतों    में   ऊँगली   दबाया  करो  



दिये   प्यार   के   बुझ   न   जाएँ   कहीं  ................


 रूप - यौवन का मेहमान  है  दो  दिनों  का  
 दिल के गुलशन में कलियाँ खिलाया करो
 चांदनी   रात  में  घर  की  छत  पे  उतर 
 मुझको  बाँहों  में   भर   मुस्कराया  करो 
  

दिये   प्यार   के   बुझ   न   जाएँ   कहीं .................


 तुम्हीं कान्धा मेरे रुक्मिणी  भी  तुम्हीं 
 बना   राधा   मुझे   तुम   नचाया   करो 
 तुम्हीं  मेरे  मथुरा  तुम्हीं  मेरे  गोकुल  
 बांसुरी   की   धुनों   पर   रिझाया  करो 


दिये   प्यार   के   बुझ   न   जाएँ   कहीं .................


                                           मधु " मुस्कान "





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