रविवार, 10 अगस्त 2014

मधु सिंह : उठो कलम हुंकार भरो तुम ( स्कॉटलैंड से )

             




                     ( दिनकर जी को  समर्पित)
                   



उठो ! कलम  हुंकार  भरो तुम,आज तुझे कुछ लिखना होगा
एक नहीं अगणित तूफानों में,बन  महाकाल  चलना   होगा


खो गये  कहाँ सपने अशोक के
है  नहीं  पता  कुछ   गौतम का
सारनाथ  के  भग्नावशेष  क्यों
भूल   गये    भाषा   गौतम  की
कुशीनगर  व्याकुल है  कितना
खो  गई  कहाँ  लिक्षवी  हमारी
स्तब्ध  हो  गये स्तूप साँची के
क्यों मधुबन  शमशान हो गये
कलम ,आज तुम कुछ तो बोल

उठो कलम हुंकार भरो तुम,आज तुझे कुछ लिखना होगा
एक नहीं अगणित तूफानों में,बन महाकाल  चलना होगा


भाल  झुक गया आज कुतुब का
क्यों न फट गई छाती ज़ईफ़ की
रो रहा ताज क्यों यमुना तट पर
छुप -छुप रोती मुमताज  बेचारी
जलते  नही  दिये  अब  दिल में
खो  गई लालिमा  लालकिले की
जल जल कर बुझ गए दिये क्यों
बुझ गए तक्षशिला के ज्ञान दीप
कलम ,आज तुम कुछ तो बोल


उठो कलम हुंकार भरो तुम,आज तुझे कुछ लिखना होगा
एक नहीं अगणित तूफानों में,बन महाकाल  चलना होगा


बुझ गये दीप क्यों नालन्दा के
भारत  माँ  की  बक्ष बिध गया
साकेत  जल   रहा  धू -धू कर
कबिरा  का  कुछ  पता   नहीं 
चुप कलम हो गई  तुलसी  की
रहीमन  रो    रहा       अकेला  
कहाँ गए जयशंकर , दिनकर
कहाँ  गया   प्रताप  घाटी  का
कलम ,आज तुम कुछ तो बोल



उठो कलम हुंकार भरो तुम,आज तुझे कुछ लिखना होगा
एक नहीं अगणित तूफानों में,बन महाकाल  चलना होगा


नहीं बच  सकी   शान झाँसी की
खड़ा कुँवर गढ़ रो रहा भाग्य पर
दुर्गादास  न पैदा होते अब क्यों
कहाँ खो  गया  राणा  का चेतक 
मेवाड़   तेरा   बलिदान   कहाँ हैं

खो गया कहाँ  भारत अतीत का
शेखर   का   बलिदान   खो गया
भगत  भागता  घूम रहा  है क्यों
कलम ,  आज तुम कुछ तो बोल

 उठो कलम हुंकार भरो तुम,आज तुझे कुछ लिखना होगा
एक नहीं अगणित तूफानों में,बन महाकाल  चलना होगा


बोलो!रावी,सतलज,चेनाब,सिन्धु
धवल -नीर  क्यों   लाल  हो  गया
अरे भागीरथ, तुम  कुछ तो बोलो
फिर  कब  अवतार धरा पर लोगे  
माँ   गंगा   के    महारुदन     पर 
कब  आकर  नव  काव्य लिखोगे
कहाँ   हो  गई  लुप्त    सरस्वती 
कहाँ   खो  गई  शान   सरयू  की 
कलम ,  आज  तुम कुछ तो बोल

उठो कलम हुंकार भरो तुम, आज तुझे कुछ लिखना होगा
एक नहीं अगणित तूफानों में, बन महाकाल  चलना होगा

                                                                           
                                                                               मधु " मुस्कान "






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