डेफोडिल के फूल
(विलियम वर्ड्सवर्थ को समर्पित)
क़दम क़दम पे खुशबू -ए - गुल,राहते -दीदार के फूल
ज़मीं पे उतर आई है ज़न्नत लिए डेफोडिल के फूल
दूर आफ़ाक पे लहराई हुई कुदरत की लज़रती बेलें
जैसे तबस्सुम उतर आई है लिए नजाकत के फ़ूल
ज़ुल्फ़ बिखरा के घटाओं का ये बहकता दीवाना पन
क्या दिखी ये ज़मीं कि ख़िल गये किश्मत के फूल
वो मौजे हवा, वो गुलशन के फूल, क्या नूर ख़ुदा का
हाय ये ज़मी कि खिल गए मेरे आरजूओं के फूल
दिले -बाम पे उतर आती है मतलये- माहे -तमाम
मौसमे- गुल में खिल गए जैसे पारी-रु- हुश्न के फूल
कफे -गुलची ,निगाहे-शौक रह -रह के ठहर जाती है
जब दिखी ये ज़मीं ख़िल गए हजारों चाहतों के फूल
वो तायरे कुहसार वो फूलों की लरजती ज़ुम्बिश
उमड़ आए हैं करमें अब्र गुहर बार लिए जन्नत के फूल
आफ़ाक ----क्षितिज
राहते-दीदार ----आँखों को सुख़ देने वाला
मतलये-माहे -तमाम ----पूरे चाँद की पृष्ठभूमि
पारी -रु ---परियों जैसे चेहरे वाले
कफे-गुलची ---फूल चुनने वाली का हाथ
चश्मे- मयगूँ---मद भरी आँखें
जोशे-वहशत ----उन्माद की तीब्रता
दस्ते-कुदरत ----कुदरत के हाथ
तायरे कुहसार---पहाड़ी पक्षी
जुम्बिश--- हिलना
अब्रे गुहर ---
मधु'मुस्कान"
तायरे कुहसार---पहाड़ी पक्षी
जुम्बिश--- हिलना
अब्रे गुहर ---
मधु'मुस्कान"
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