विशालाक्षा
(यक्षिणी)
(कालिदास के मेघदूत में यक्ष की पीड़ा थी
यहाँ यक्षिणी की पीड़ा हैं )
हिमगिरी के वक्ष वितानों पर
जब जली विरह की ज्वाला थी
महाकाल का प्रलय मचा था
महाकाल की ज्वाला थी (1)
अधिपति था कोई धनपति कुबेर
धधकी अहंकार की ज्वाला थी
अलकापुरी के झंझानिल में
जब जली काम की ज्वाला थी(2)
कालिदास नें मेघदूत में
लिख कथा यक्ष को अमर कर दिया
कौन लिखेगा कथा यक्षिणी
पुरुषवाद पर काव्य लिख दिया(3)
मैं नारी हूँ मुझे पता है
काम की ज्वाला क्या होती है
हाय, यक्षिणी कैसे तड्पी थी
चिता विरह की क्या होती है(4)
नहीं कथा यह कवि कल्पित है
सत्य कथा है सत्य लिखूंगी
शपथ ईश् का ले मैं कहती
पग पग पर नारी व्यथा लिखूंगी(5)
राजमहल की दीवारों में
रासमहल के प्राचीरों में
पग - पग पर थे शूल बीछे
विशालाक्षा की तकदीरों में(6)
क्रमशः
मधु "मुस्कान"
(यक्षिणी)
(कालिदास के मेघदूत में यक्ष की पीड़ा थी
यहाँ यक्षिणी की पीड़ा हैं )
हिमगिरी के वक्ष वितानों पर
जब जली विरह की ज्वाला थी
महाकाल का प्रलय मचा था
महाकाल की ज्वाला थी (1)
अधिपति था कोई धनपति कुबेर
धधकी अहंकार की ज्वाला थी
अलकापुरी के झंझानिल में
जब जली काम की ज्वाला थी(2)
कालिदास नें मेघदूत में
लिख कथा यक्ष को अमर कर दिया
कौन लिखेगा कथा यक्षिणी
पुरुषवाद पर काव्य लिख दिया(3)
मैं नारी हूँ मुझे पता है
काम की ज्वाला क्या होती है
हाय, यक्षिणी कैसे तड्पी थी
चिता विरह की क्या होती है(4)
नहीं कथा यह कवि कल्पित है
सत्य कथा है सत्य लिखूंगी
शपथ ईश् का ले मैं कहती
पग पग पर नारी व्यथा लिखूंगी(5)
राजमहल की दीवारों में
रासमहल के प्राचीरों में
पग - पग पर थे शूल बीछे
विशालाक्षा की तकदीरों में(6)
क्रमशः
मधु "मुस्कान"
एक बेहतरीन और उद्वेलित करने वाली रचना के लिए, बधाई
जवाब देंहटाएं