जलाओ दिये आज
तिमिर का कहीं भी पर निशां रह न पाये
बने हम सृजन की आज एक भाषा नई
नफ़रतों के अंधेरें कहीं दिख न पाए
दिलों में उगायें हम मोहब्बत की बेलें
सहरा इस ज़मी पर कहीं दिख न पाए
फूल बगिया में हम एक ऐसा खिलायें
मोहब्बत की खुशबू से कोई बच न पाए
सांसों में सब के इक खुशबू बसायें
जख्म हमारे दिलों में कहीं दिख न पाए
प्यार बन हम दिलों में ऐसा दीपक जलाएं
घरों में कहीं तिमिर का निशां रह न पाए
चलो आज हम सब मिल दिवाली मनाएँ
सियासत कमीनी कहीं भी रह न पाए
मधू "मुस्कान"
चलो आज हम सब मिल दिवाली मनाएँ
सियासत कमीनी कहीं भी रह न पाए
मधू "मुस्कान"
चलो ऐसी ही दिवाली मनाएँ...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
जवाब देंहटाएंकल 11/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (11-11-2012) के चर्चा मंच-1060 (मुहब्बत का सूरज) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
दीपावली मनाने का अच्छा तरीका...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर रचना....
दीपवाली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ...
:-)
बहुत सुंदर रचना ....
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनायें
ग्रीटिंग देखने के लिए कलिक करें |
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ
चलो ज्योत से फिर एक ज्योत जलाएं ,
जवाब देंहटाएंप्रेम की गंगा मिलकर बहायें .
मोहब्बत के दीये हर आँगन जलाएं .
ये तेरा ये मेरा ,सभी मिल हटायें .
चलो ज्योत से फिर एक ज्योत जलाएं ,
जवाब देंहटाएंप्रेम की गंगा मिलकर बहायें .
मोहब्बत के दीये हर आँगन जलाएं .
ये तेरा ये मेरा ,सभी मिल हटायें .
बहुत सुन्दर रचना है आपके सु-मन मंदिर सी .बधाई दिवाली .
बहुत अच्छी कविता लिखी इस शुभ दिन धनतेरस के दिन पहली बार आई हूँ आपके ब्लॉग पर जुड़ भी गई हूँ आपके ब्लॉग के साथ बहुत बहुत शुभकामनाएं और बधाई वक़्त मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी आइये आपका स्वागत हैhttp://hindikavitayenaapkevichaar.blogspot.in
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