बुधवार, 7 नवंबर 2012

10.Madhu Singh : khada Hai












       खड़ा है 

तस्बीर मेरी  लगा,  वो अपने दिल से  
मुझसे प्यार करने की ज़िद परअड़ा है

नज़रें  झुकाए  न  कहता  है  कुछ वो   
क्या  पता  क्यों  वो मेरे पीछे पड़ा है 

सुबह  शाम जब  भी मैं निहारूं  उधर  
अपनी जगह पर  वो मिलता खड़ा है 

बड़ा  सिरफिरा  वो तो लगता मुझे  है
उसकी आँखों में जैसे नगीना जड़ा है 

मै  जितना ही  सोचू उसके बिषय  में 
उससे ज्यादा कहीं  वो मेरे पीछे पड़ा है  

पास  आओ  कहो तो न आता कभी है 
सपने  दिल में बसाये वहीं पर खड़ा  है

दिखने  में भोला तो वो लगता बहुत है 
क्यों कुछ न कहने की ज़िद पर अड़ा है 

शरम  अब  मुझे  खूब  लगने  लगी  है 
ख्वाब टूटा तो देखा मेरी बाँहों में पड़ा है 

याद आई मुझे वो हकीकत बहुत आज 
पिछले जनम का मेरा वो शौहर खड़ा है

लिए  हाथ फूलों  का  गज़रा  वो  अपने
इस जनम में भी वो पहनाने पर अड़ा है

देखो जरा गौर से तुम सब अब उसे ही
इस ग़ज़ल के माथे पर चुप वो  खड़ा है

                          मधू "मुस्कान"




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