नया घर बनाउंगी
ले हाथ अपने पत्थरों को, मै ख़ुद को डराउंगी
अकेला घर मेरा होगा , रहूँगी मै खुश अकेले में
जहाँ धोखा नहीं होगा ,वहीँ मै घर एक बनाउंगी
जहाँ धोखा नहीं होगा ,वहीँ मै घर एक बनाउंगी
अकेला रास्ता होगा , न कोइ हमसफ़र होगा
रहूँगी मै अकेली उस जगह नई दुनिया बसाऊँगी
बहुत चाहा था मैंने उसको,मगर वो सिरफिरी निकली
बहुत चाहा था मैंने उसको,मगर वो सिरफिरी निकली
जहाँ दगा बाज़ी नहीं होगी वहीं मै एक घर बनाउंगी
बहुत सोचा है मैंने हजारों बार बैठ कर अकेले में
जहाँ पर न ज़हरे- खूँ होगा वहीं पर घर बसाउंगी
रहूंगी अब वहीं जहाँ साया मेरा मेरे ही साथ होगा
जहाँ बरसात होगी दुआओं की वहीं मैं घर बनाउंगी
न जाऊँगी कहीं मै डर गई हूँ अपने पन के खंजर से
हया होगी जहाँ जिस ठौर वहीं मै एक घर बनाउंगी
देखी दुनिया चेहरे देखे बेशर्म सब अब दिखने लगे हैं
मै चली उस ठौर वहीं अब प्यार की कुटिया बसाउंगी
न जाऊँगी कहीं मै डर गई हूँ अपने पन के खंजर से
हया होगी जहाँ जिस ठौर वहीं मै एक घर बनाउंगी
देखी दुनिया चेहरे देखे बेशर्म सब अब दिखने लगे हैं
मै चली उस ठौर वहीं अब प्यार की कुटिया बसाउंगी
मधु "मुस्कान "
Dard ki gahanatam anubhuti aur bartman me duniya ki farebi se bach kar kaha jayeega,darindo ke hath bahut lambe hote hai रहूंगी अब वहीं जहाँ साया मेरा मेरे ही साथ होगा
जवाब देंहटाएंजहाँ वर्षात होगी दुआओं की वहीं मैं घर बनाउंगी
न जाऊँगी कहीं मै डर गई हूँ अपने पन के खंजर से
हया होगी जहाँ जिस ठौर वहीं मै एक घर बनाउंगी
देखी दुनिया चेहरे देखे बेशर्म सब अब दिखने लगे हैं
मै चली उस ठौर वहीं अब प्यार की कुटिया बसाउंगी
Bahut khoob
जवाब देंहटाएंअकेला रास्ता होगा , न कोइ हमसफ़र होगा
रहूँगी मै अकेली उस जगह नई दुनिया बसाऊँगी
बहुत ही उम्दा प्रस्तुति ,मधू जी आपको हार्दिक बधाई>>>>>>>>>>>@@@@@@@@@**********############# " वो ही नहीं सभी अब होते जा रहे सिरफ़िरे हैं,अब इसी दुनिया में दुनियादारी सीखना जुरूरी हो गया है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबढिया
न जाऊँगी कहीं मै डर गई हूँ अपने पन के खंजर से
जवाब देंहटाएंहया होगी जहाँ जिस ठौर वहीं मै एक घर बनाउंगी।।।।।।बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं यह ......अपने पन के खंजर।।।।।कुछ आस्तीनों से ......
बढ़िया रचना है .
अलग एक काँच की बस्ती में अपना घर बनउंगी (बनाउंगी )
जहाँ वर्षात होगी दुआओं की वहीं मैं घर बनाउंगी।।।।।।।(बरसात होगी दुआओं की )/वर्षा /बरखा /बारिश /बरसात
bahut sundar hai aapki rachna
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएं"...........बहुत चाहा था मैंने उसको,मगर वो सिरफिरी निकली
जहाँ दगा बाज़ी नहीं होगी वहीं मै एक घर बनाउंगी ......." बेहतरीन
वाह...
जवाब देंहटाएंरहूंगी अब वहीं जहाँ साया मेरा मेरे ही साथ होगा
जहाँ बरसात होगी दुआओं की वहीं मैं घर बनाउंगी
बहुत खूबसूरत मधु जी...
अनु
बहुत सुंदर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबहुत मुश्किल है यह...
जवाब देंहटाएंजहां धोखा नहीं होगा वहीं
एक घर बनाउंगी
...अब आज के जमाने में ऐसा कहां मिलेगा जहां धोखा न हो ?
रहूंगी अब वहीं जहाँ साया मेरा मेरे ही साथ होगा
जवाब देंहटाएंजहाँ बरसात होगी दुआओं की वहीं मैं घर बनाउंगी
wah .....lajbab prastuti ke liye badhai .