सोमवार, 19 नवंबर 2012

17.मधु सिंह : तवायफ़

   तवायफ़ 


 तवायफ़ ? एक  सच्चाई है 
 एक  लिबास है, एक ज़ूरूरत है
 उन बेशर्म मर्दों की 
 जिन्हें  लिबास में भी  हर औरत 
 नगीं  ही दिखती है, सिर्फ़ इसलिए कि 
लोगों ने अपनी बेशर्म आँखों पर 
जिन चश्मों  को लगा रखा है 
वे चश्मे आदतन
हर जिश्म को नंगा हीदेखते हैं
फिर इल्ज़ाम तवायफ़ के माथे पर क्यों ?
तवायाफ़ एक ऐसी सच्चाई है
जो झूठ नहीं बोलती 
एक ऐसा  लिबास है
जिसे हर कोई पहनना चाहता है
एक ऐसी ज़ूरूरत है जो
उन तमाम लोगों के घरों  की इज्ज़त की कीमत 
ख़ुद को रोज़ नीलाम कर बचाती है
वरना,आप सब जानते ही  हैं ,पर 
न जाने  लोग कहने से क्यों कतराते हैं?
तवायफ़ एक खुली सच्चाई है
जो तमाम घरों को नंगा होने से बचाती है 
और बेशर्म मर्दों के मुह पर
एक जोरदार तमाचा लगाती है
जिनके कपड़ों को हर  रोज़ उतरवा
उन्हें बड़े सान से  नंगा कराती है 
और एक खड़ा कर देती है एक सवाल  
क्या तुम्हारे घरों में औरतें नहीं हैं
जिन्हें तुम माँ ,पत्नी,बहन या बेटी कहते हो 
जानते हो मै भी उन्हीं में से एक हूँ 
और इसीलिए तमाम घरों की इज्ज़त 
मै ख़ुद को नंगा कर बचाती हूं  
 

                         मधु  "मुस्कान"
 

5 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. बिगडैल लौंडों को नवाबों के थोड़ी सी तहजीब भी सीखने के लिए तवायफ के कोठों पे भेजा जाता था .कर्म के प्रति समर्पण और शुचिता तवायफ का धर्म रहा है .वात्सायन तो सेक्स को लेकर यहाँ तक

      कहतें हैं बिस्तर में पत्नी को भी वैश्या बन जाना चाहिए .

      यौषाअग्नि (यौशाग्नी )आचार्य निशांत केतु की लिखी किताब है जिसमे एक वैश्या की आत्मकथा है .उसका उत्कर्ष और पुरुष का बीतता भर साबित होना मुखरित हुआ है .मुझे यह किताब पढने का

      मुका मिला है .यह किताब मैंने इसके विमोचन के मौके पर ही खरीदी थी हिंदी भवन नै दिल्ली में .

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  2. सुन्दर.........******^^^^^^***** और बेशर्म मर्दों के मुह पर
    एक जोरदार तमाचा लगाती है
    जिनके कपड़ों को हर रोज़ उतरवा
    उन्हें बड़े सान से नंगा करती है
    और एक खड़ा कर देती है एक सवाल
    क्या तुम्हारे घरों में औरतें नहीं हैं
    जिन्हें तुम माँ ,पत्नी,बहन या बेटी कहते हो
    जानते हो मै भी उन्हीं में से एक हूँ
    और इसीलिए तमाम घरों की इज्ज़त
    मै ख़ुद को नंगा कर बचाती हूं

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  3. ज्यादती होगी इन बिंदास बोलती तस्वीरों के साथ यदि इनकी मालकिन का शुक्रिया अदा न किया तो .आत्म विशवास से लबरेज़ हैं तमाम तस्वीरें .बोलती बतियाती हुईं -ये मैं हूँ .

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  4. WHAT A DESCRIPTIN? BEYOND EMAGINATIN NICE NICE NICE.......HAMMERIN MIND AND HERAT

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