तस्वीर बदल देंगें तक़दीर बदल देंगें
चेनाब की लहरों का हम नीर बदल देंगें
दुश्मन के इरादों की तस्बीर बदल देंगें
यूँ तो हम कश्मीर की जागीर बदल देंगें
संगीनें जो उग रही है केसर की क्यारिओं से
लिख प्यार के नग्मों को तहरीर बदल देंगें
दोस्त बन के निकले है दुश्मनों को बदलनें
हम दुश्मनों के दिल की ताबीर बदल देंगें
इतिहास के पन्नो से मिटा खू की स्याही को
हम चेनाब की घाटी की तकदीर बदल देंगें
फ़ौलादी इरादे हैं ज़ज्बात भी फ़ौलादी हैं
दुश्मन के निशानों के हम तीर बदल देंगें
कश्मीर की वादी में निकले हैं सज धज कर
उनके नापाक इरादों के हम पीर * बदल देंगें
*धर्मगुरु
मधु "मुस्कान "
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