(1)
न जाने किस गुनाह की मुझको सज़ा मिली
मेरे साये नें मुझसे मेरी तस्वीर छीन ली
(2)
मेरी तक़दीर ने मुझसे ये वादा किया है
मईयत में मेरे उसका कंधा सरीक होगा
(3)
अपनी ज़हन की खिड़की पर मुझको टांग लो
एक कील तेरे ज़हन में ठुक तो जायगी
(4)
मेरे ही कटे पाँव ने मुझसे यह कहा
बैसाखी इरादों की अपने साथ लिए चलना
(5)
आप की निगाहों नें चुपके से क्या कहा
कल तो मेरी जाँ मेरी जाँ पे बन आई थी
मधु "मुस्कान"
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