ज़िन्दगी यूँ हीं नहीं मिली है मुझे, ख़ुशी-ख़ुशी से
तमाम उम्र मैं अकेले लड़ी हूँ, मुफलिशी से
ये रौनक जो मेरे चेहरे पे, चल के आई है
फ़तह हासिल हुई है जंग में , खुदकशी से
तीरगी उजालों का क़त्ल करनें पे आमादा थी
मेरे इरादों ने जंग जीत ली, ख़ुशी-ख़ुशी से
खोया है ज़िन्दगी ने बहुत कुछ, ज़मानें को पता है
मगर फ़तह हुई है मेरी , बड़ी दिलकशी से
फुलझड़ी न समझ मुझे मैं इक धमाका हूँ
दोस्ती बहुत पुरानी है मेरी ,आतिशी से
मधु "मुस्कान"
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