जानें कहाँ - कहाँ ! रूहे रवाँ ले जाएगी
देखिये ! पागल हवा किस तरफ ले जाएगी
ख्वाब सारे देख लें कल सुबह होनें के पहले
क्या भरोसा !किस बहानें से कज़ा आजाएगी
ज़िन्दगी इक सैलाब है कब कहर ढाने पे उतरे
कब न जानें !काली घटा सब कुछ बहा ले जाएगी
ये अँधेरे ही भले है इक रास्ता कहीं ढूंढ लें
भोर की पहली किरण जानें क्या सजा दे जाएगी
चप्पे -चप्पे पर ये दुनिया अक्लमंदों से भरी है
अक्लमंदों की ये दुनिया जाने कहाँ ले जाएगी
अल्लाह के फ़रमान पर दोस्त सारे चल दिए
अल्लाह की मर्जी न जाने कब मेहरबां हो जाएगी
चलो दूर कहीं दूर अपनी ख्वाहिशों को अंजाम दें
उम्र की दरिया न जानें कब किधर मुड़ जाएगी
मधु "मुस्कान"
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