तेरा जिश्म है के ये खुशबू का शज़र है
चन्दन के दरख्तों पे तेरी खुशबू का असर है
मौसम भी बहक जाता है देख कर तुझे
तेरी शोख आदाओं में बड़ा मीठा जहर है
तेरे हुश्न पर तो बहारें भी फ़िसल जाती है
तेरी आशिकी से जलता ये सारा सहर है
देखो कोई बहेलिया छुप बैठा है घात में
तेरे हुश्न के परिंदे पर सबकी नज़र हैं
कागज़ के फूलों पर न लिखना मोहब्बत
के माचिस की तीली पे सबकी नज़र है
मधु "मुस्कान "
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