रविवार, 11 नवंबर 2012

12.Madhu Singh:Chehare Dekho

         









   चेहरे  देखो 


  अपने- अपने  चेहरे देखो,  हम  भी  देखें तुम भी देखो 
  दाग  कहाँ  कितने गहरे  हैं जिसने डाले हैं उसको देखो 

  दिल के भीतर अपने झांको,दिल को देखो,खुद को देखो
  दिल क्या है?चेहरे पर दिखता,हटा मुखौटा ख़ुद को देखो

  लम्बीं-लम्बीं बातें करते हो उन बातों की सच्चाई देखो
  करो  निर्वासन खुद को पहले,पहले अपने भीतर देखो

  पता तुम्हें  सब लग जायेगा ख़ुद कितने पानी में देखो
  उँगली जो औरों पर उठती अपनी तरफ उठा कर देखो

  चालें  रोज़ बदलते तुम  जो ,पहले  उन चालों  को  देखो
  औरों पर इल्ज़ाम  लगाने वालों पहले अपने  चेहरे देखो

  कह देना आसन बहुत है पहले ख़ुद को  कह कर  देखो
  अगल-बगल मत झांकों तुम पहले अपने घर को देखो

  बेटी-बहन तुम्हारी जैसी, उसी तरह तुम सब की देखो
  रोज़  बदलते चालें  अपनी  रोज़   बदलते  चहरे  देखो

   औरों  को  नंगा करते हो पहले  ख़ुद को  नंगा कर देखो
   नहीं  देख  पावोगे ख़ुद को कोशिश कर ख़ुद को तो देखो

                                                मधू "मुस्कान"








10 टिप्‍पणियां:

  1. कह देना आसन बहुत है पहले ख़ुद को कह कर देखो
    अगल-बगल मत झांकों तुम पहले अपने घर को देखो

    सुंदर प्रस्तुति!!

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  2. पता तुम्हें सब लग जायेगा ख़ुद कितने पानी में देखो
    उँगली जो औरों पर उठती अपनी तरफ उठा कर देखो


    हर आदमी में होतें हैं दस बीस आदमी ,
    जिसको भी देखना कई बार देखना , ,



    पूरी रचना निर्मम पोस्ट मारटम है "स्व "/पर का .

    छा गईं आप इस रचना में .

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  3. सुंदर प्रस्तुति!!पता तुम्हें सब लग जायेगा ख़ुद कितने पानी में देखो
    उँगली जो औरों पर उठती अपनी तरफ उठा कर देखो

    चालें रोज़ बदलते तुम जो ,पहले उन चालों को देखो
    औरों पर इल्ज़ाम लगाने वालों पहले अपने चेहरे देखो

    कह देना आसन बहुत है पहले ख़ुद को कह कर देखो
    अगल-बगल मत झांकों तुम पहले अपने घर को देखो

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  4. सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    दीवाली का पर्व है, सबको बाँटों प्यार।
    आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
    लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
    उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
    --
    आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  5. प्रसन्न बदन चेहरे .बधाई .सलामत रहो प्रसन्न वदनाओं .

    सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,

    मिलजुल के मनाये दिवाली ,

    कोई घर रहे न रौशनी से खाली .

    हैपी दिवाली हैपी दिवाली .

    वीरुभाई

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  6. nice gazal ,really the way you have dissected SELF , done excellent job,

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  7. Ati sunder, sahi hi kaha gya h Dil ko dekho chehra n dekho......

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  8. एकदम सटीक रचना। क्या IBM7 वाले इससे कुछ सबक लेंगे?

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