पीढ़ियाँ, इस देश की खाक में मिल जायगीं
जिस्म को टकसाल समझने का नज़रिया छोड़िये
गर मंडियाँ सजती रहेगीं जिस्म की इस मुल्क में
अस्मिता की बात करना भूल कर मत सोचिये
सिक्के कितने दिन तक ढलेंगे जिस्म के टकसाल में
बे-शर्मिओं को ख्वाब में आने से बेशक रोकिए
जिस्म की जागीर पर पहरे लगाना है जूरुरी
जिस्म की बोली लगाने की घटियाँ कवायद छोड़िए
धरती- गगन में चित्र मर्यादा का बिम्बित हो उठे
है करबद्ध निवेदन आप से कुछ काम ऐसा कीजिए
गर मर्यादा का आंचल आप का भूल से भी खुल गया
अस्मिता जल जायगी , पशुता का विसर्जन कीजिए
मधु "मुस्कान "
धरती- गगन में चित्र मर्यादा का बिम्बित हो उठे
है करबद्ध निवेदन आप से कुछ काम ऐसा कीजिए
गर मर्यादा का आंचल आप का भूल से भी खुल गया
अस्मिता जल जायगी , पशुता का विसर्जन कीजिए
मधु "मुस्कान "
बेहतरीन मधु सिंह जी ,आक्रामक तेवर में की गयी अक ऐसी कड़वी सच्चाई
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जवाब देंहटाएंगर मर्यादा का आंचल आप का भूल से भी खुल गया
अश्मिता जल जायगी , पशुता का विसर्जन कीजिए
सटीक सन्देश मधु जी
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खूब सूरत रचना ,बढिया सन्देश देती हुई .
जवाब देंहटाएंजिस्म /अस्मिता /बे -शर्मियों
हकीकत यही है इस दौर के धंधे बाजों की .
जवाब देंहटाएंखूब सूरत रचना ,बढिया सन्देश देती हुई .
जिस्म /अस्मिता /बे -शर्मियों
Virendra Sharma @Veerubhai1947
असली उल्लू कौन ? http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2013/02/blog-post_5036.html …
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Virendra Sharma @Veerubhai1947
ram ram bhai मुखपृष्ठ शनिवार, 2 फरवरी 2013 Mystery of owls spinning their heads all the way around revealed http://veerubhai1947.blogspot.in/
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बहुत ही सवेदनशील और मार्मिक रचना,कड़वी सच्चाई की सुन्दर प्रस्तुती।
जवाब देंहटाएंसुन्दर विचार. दुःख की बात ये की देश के अन्दर भी वही बाज़ार देखा और देश के बाहर "बिग बाज़ार". दुःख होता है बस.
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