लिखेंगें मोहब्बत पढेंगें मोहब्बत, सुनेगें मोहब्बत कहेंगें मोहब्बत
माथे की बिंदियाँ बनेगीं मोहब्बत ,चमकेगी बिंदिया, मगर धीरे -धीरे
साहिल भी होगा समंदर भी होगा, लहरें भी होंगीं सहारा भी होगा
नज़रें भी होंगीं नज़ारा भी होगा, बोलेगा कंगना, मगर धीरे -धीरे
सपने भी होंगे हकीकत भी होगी ,कहानी भी होगी जमाना भी होगा
रस्में भी होंगीं रिवाजें भी होंगी , शर्माएंगें हम, मगर धीरे -धीरे
गगन भी हंसेंगा धरा भी हंसेंगीं ,चंदा भी होगा सूरज भी होगा
गुफाएँ भी होंगीं पर्वत भी होगा ,चलेंगें गुफा में मगर धीरे -धीरे
बाहें भी होंगीं सहारा भी होगा ,रंगों का सुन्दर नज़ारा भी होगा
पकड़ हाथ हम तुम संग संग चलेंगें ,बाँहों में आऊँगी मगर धीरे -धीरे
गरारा भी होगा शरारा भी होगा ,चुनरी भी होगी लहँगा भी होगा
लिखेंगें मोहब्बत दुपट्टे के कोने पे ,चूनर हिलेगी मगर धीरे -धीरे
पायल भी होगी कंगना भी होगा , नथुनी भी होगी करधन भी होगी
नथिया भी होगी झूमर भी होगी ,बोलेगी पायल मगर धीरे -धीरे
ताजे मोहब्बत के किस्से भी होंगें, मुमताज होगी मेरी सकल में
बड़े प्यार से वो मेरी माँगें भरेगें , लगाएंगें सिंदूर मगर धीरे -धीरे
चकवा भी होगा चकवी भी होगी सांसों की धड्कन में खुशबू भी हेगी
चेहरा भी होगा घूँघट भी होगा , उठाउंगीं घूंघट मगर धीरे -धीरे
अपनी अलग एक दुनिया भी होगी मोहब्बत का अपना तिरंगा भी होगा
जर्रे -जर्रे पर उसके मोहब्बत लिखेंगें ,लहराएगा तिरंगा मगर धीरे -धीरे
मगर धीरे धीरे,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती।
जवाब देंहटाएंचकवा भी होगा चकोरी भी होगी सांसों की धड्कन में खुशबू भी हेगी
जवाब देंहटाएंचेहरा भी होगा घूँघट भी होगा , उठाउंगीं घूंघट मगर धीरे -धीरे,,,,,
वाह वाह ,,,बहुत शानदार सुंदर प्रस्तुति,,,
RECENT POST शहीदों की याद में,
रस्में /शरारा /करधनी /शकल /ख़ुश्बू /चकवी
जवाब देंहटाएंहवा धीमी होगी खुला आसमां भी ,
उड़ेगी पतंग प्रेम की धीरे धीरे ,बहुत खूब सूरत भाव चित्र .आभार आपकी सद्य टिपण्णी का .
ram ram bhai
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रविवार, 3 फरवरी 2013
असली उल्लू कौन ?
नुसखे सेहत के
नुसखे सेहत के
http://veerubhai1947.blogspot.in/
बाहें भी होंगीं सहारा भी होगा ,रंगों का सुन्दर नज़ारा भी होगा
जवाब देंहटाएंपकड़ हाथ हम तुम संग संग चलेंगें ,बाँहों में आऊँगी मगर धीरे -धीरे
,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती।
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लिखेंगें मोहब्बत पढेंगें मोहब्बत, सुनेगें मोहब्बत कहेंगें मोहब्बत
जवाब देंहटाएंमाथे की बिंदियाँ बनेगीं मोहब्बत ,चमकेगी बिंदिया, मगर धीरे -धीरे
....वाह! ख़ूबसूरत अहसासों को पिरोये बेहतरीन ग़ज़ल...
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या बात