मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

59. मधु सिंह : बूढी दादी के आँचल पर


       बूढी दादी   के आँचल पर 


            बूढी   दादी   के  आँचल  पर 
            यह कैसा अभिशाप लिखा है 
            अपने    ही   घर   कोने   में 
            यह  कैसा  बनबास  लिखा है 

            माथे  की  सलवट  पर देखो 

            यह  कैसा अहसास छिपा है
            अपने  की  संतति  के हाथो 
            यह  कैसा  संत्रास  लिखा  है

            आंचल  के  ताने -बाने पर 
            यह  कैसा सन्यास लिखा है           
            अधरों पर मर्मान्तक  पीड़ा  
            का कैसा इतिहास  लिखा है 

            घर - घर   बूढी   दादी  रोती 
            रोना भी   चुपचाप  लिखा है 
            अपनो के ही हाथो यह कैसा 

            खून भरा मधुमास छिपा है   

           आँखों से टप-टप कर गिरती
           अश्रु भाव का भास्य लिखा है 
           क्यों  बूढी  दादी के चेहरे पर                
           दर्द   भरा  अहसास  छिपा है 

                               "मधु "सिंह "
 
  
          

         

           




           

8 टिप्‍पणियां:

  1. बुजुर्गो की पीड़ा का एहसास कराती बेहतरीन रचना ,,,,बधाई
    http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post.html

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  2. बहुत सटीक रचना है |हर घर का किस्सा है |
    आशा

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  3. वाह अलग एवं सुन्दर प्रस्तुति

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  4. ये विजेट सफलतापूर्वक अपने ब्लॉग पर स्थापित करने के बाद "टिप्स हिंदी में" ब्लॉग पर टिप्पणी अवश्य दें |

    आँखों से टप-टप कर गिरती
    अश्रु भाव का भास्य लिखा है
    क्यों बूढी दादी के चेहरे पर
    दर्द भरा अहसास छिपा है
    इन बुनियादी सवालों का ज़वाब है ज़रूर लेकिन कड़वा है ,मेहरारू हांकती है मर्द को इंडिया में .इसी लिए यह स्थिति है दादी माओं की .इन इंडिया मेल्स आर द्रिविन बाई देअर फीमेल्स .

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  5. बहुत ही सुंदर ...लाजवाब प्रस्तुति के लिए मधु जी बहुत२ शुभकामनायें,,,,

    जहां देखो लगभग हर घर की यही कहानी

    RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
    .

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  6. घर के बुजुर्गों के संत्रास को बखूबी लिखा है ।

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  7. दादी माँ की ब्यथा कथा को शब्द देती मर्मस्पर्शी और ह्रदय को व्यथित करने वाली कविता , पढ़ के प्रेमचंद की याद आ गयी ,सदियों से ये दर्द यथावावत क्यों है ? हमारे पारिवारिक जीवन के ढोल की पोल दादी माँ की पीड़ा के रूप में व्यक्त हो रही है ,बहुत ही जानदार और शानदार कविताई के लिए साधुवाद

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