छुट्टा सांड़
कल तलक जो कैद थे जेल की दीवार में
दिख रहे हैं आज वो , देश की सरकार में
रात में जो रहजनी के खेल में थे होशियार
जिस मुल्क के रहनुमा अन्धें हो जल्वागाह के
मुफलिसी बिक जायगी जिस्म के बाज़ार में
जितने शातिर चोर थे या थे चम्बल के डकैत
छुट्टा सांड बन फ़िर रहें हैं दिल्ली दरबार में
मूर्ति चोरी ज़ुर्म में , जो कल गया था जेल में
मधु " मुस्कान "
हैं बिक रहे उनके कलेण्डर देश के बाज़ार में
जिस मुल्क के रहनुमा अन्धें हो जल्वागाह के
मुफलिसी बिक जायगी जिस्म के बाज़ार में
जितने शातिर चोर थे या थे चम्बल के डकैत
छुट्टा सांड बन फ़िर रहें हैं दिल्ली दरबार में
मूर्ति चोरी ज़ुर्म में , जो कल गया था जेल में
बन पुजारी आ गया , भगवान के दरबार में
जिसने लूटी आबरू घुस घरों में बार -बार
सामिल हो गया है आज वह ,मुल्क की सरकार में मधु " मुस्कान "
मूर्ति चोरी ज़ुर्म में जो कल ही गया था जेल में
जवाब देंहटाएंबन पुजारी आ गया , भगवान के दरबार में
यही हो रहा है - सटीक
कल तलक जो कैद थे जेल की दीवार में
जवाब देंहटाएंदिख रहे हैं आज वो , देश की सरकार में
रात में जो रहजनी के खेल में थे होशियार
हैं बिक रहे उनके कलेण्डर देश के बाज़ार में
वाह !सुंदर अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर...!
जवाब देंहटाएंसामयिक ग़ज़ल प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंकल तलक जो कैद थे जेल की दीवार में
दिख रहे हैं आज वो , देश की सरकार में
कल तलक जो बंद थे तीर्थों के तीर्थ तिहाड़ में ,
छा रहें हैं आजकल दिल्ली की सरकार में .
बहुत धारदार तंज है इंतजामिया पर .
खूबसूरत प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआभार -
मुट्ठा मुट्ठा ले भरे, मिला बाप का राज |
हटाएंपब्लिक भूखी मर रही, दाने को मुहताज |
दाने को मुहताज, पीठ पर मुहर लगा के |
गौ सी सीधी देख, थका दे भगा भगा के |
बेहद जालिम सांढ़, घूम दिल्ली में छुट्टा |
इधर उधर मुँह मार, खाय ले मुट्ठा मुट्ठा ||
बहुत उम्दा धारदार सटीक गजल,,,बधाई
जवाब देंहटाएंRECENT POST बदनसीबी,
सभी शेर में देश के हालात का सटीक वर्णन है. उम्दा प्रस्तुति, बधाई.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक करारा ग़ज़ल।
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 5/2/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है
जवाब देंहटाएंसामाजिक बहिस्कार ही इन अपराधियों का दंड है ,हम इन्हे ही अपना प्रतिनिधि बना के अपना भाग्य विधाता बना देते है यही हमारी सबसे बड़ी विडम्बना है
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया व्यंग....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...!
जवाब देंहटाएंजिसने लूटी आबरू घुस घरों में बार -बार
जवाब देंहटाएंहै बन गया वह राक्षस , मुल्क का पहरेदार
Saare sher achhe lage. Bahut Khoob likha hai.
चुटीले कटाक्षों के साथ प्रासंगिक प्रस्तुति ! बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 07-02 -2013 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं....
आज की हलचल में .... गलतियों को मान लेना चाहिए ..... संगीता स्वरूप
.
जवाब देंहटाएंआपने चुन चुन कर निशान लगाया है और सही लगा .तीखा बन है आपका -बधाई
मूर्ति चोरी ज़ुर्म में , जो कल गया था जेल में
जवाब देंहटाएंबन पुजारी आ गया , भगवान के दरबार में ..
आज के हालात पे करार व्यंग ... देश का हाल भी कुछ ऐसा ही है आज ...
बहुत बढ़ियाँ ...
जवाब देंहटाएंआज के स्थिति पर परफेक्ट....
बहुत खुबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंबढ़िया है आदरणीया-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
रात में जो रहजनी के खेल में थे होशियार
जवाब देंहटाएंहैं बिक रहे उनके कलेण्डर देश के बाज़ार में-------
वर्तमान का सजीव शब्द चित्र,वाकई कटु सत्य है
आपकी बेवाक लेखनी को प्रणाम
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों