पी के मतवाला रहे
हाथ में दारू की बोतल , अक्ल पर ताला रहे
रहनुमा हमारे देस का, पी के मतवाला रहे
आँख पर पट्टी बंधी हो , दुम कटी वाला रहे
बेटा पार्टी अध्यक्ष हो , या जीजा , साला रहे
बदलता पार्टी हर साल हो, लंबी मूँछ वाला रहे
हों हाथ में दो चार कट्टे,गले में फूल की माला रहे
वीवियाँ हों दर्जनों , मुजरे और कोठे वाला रहे
शातिर चोर हो , या फिर चम्बल वाला रहे
नाग के विष से बुझा हो,क़त्ल करने वाला रहे
रिश्वत का मसीहा हो,शातिर घोटाले वाला रहे
झूठ का मर्मंग्य हो , दिल का पूरा काला रहे
ए ख़ुदा इस मुल्क का ऐसा ही रखवाला रहे
बन कभी प्रतिभूति का एक नया घोटाला रहे
आँख का अँधा भी हो,और नयन सुख वाला रहे
मक्कारी में हो वह लोमड़ी गिद्ध दृष्टि वाला रहे
गिरगिट का रंग हो , अक्ल में दीवाला रहे
मक्कारी में हो वह लोमड़ी गिद्ध दृष्टि वाला रहे
गिरगिट का रंग हो , अक्ल में दीवाला रहे
मधु "मुस्कान "
बढिया है
जवाब देंहटाएंबहुत सही!
जवाब देंहटाएंबढ़िया-सटीक ग़ज़ल लिखी है आपने
बहुत उम्दा सटीक गजल,,मधु जी
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति -
जवाब देंहटाएंआभार आदरेया ||
जवाब देंहटाएंविचार उत्तेजक पोस्ट .
नेता (राजनीतिक धंधे बाज़ पढ़ें इसे )हमारा मतवाला रहे ,
दहशतगर्दों को "जी" और "साहब "कहने वाला रहे .
दिग्विजय का हाँ निवाला रहे .
वाह क्या बात है! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंhttp://voice-brijesh.blogspot.com
सटीक पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंप्रभावी व्यंग्य
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