हवाएँ
हवाएँ सूंघ लेती हैं , मोहब्बत के फसानों को
फज़ाएँ गुनगुनाती है , मोहब्बत के तरानों को
खिला दे फूल उसके जिश्म पर पैगम्बरों जैसा
खुदा तू हजारों पर लगा दे मोहब्बत के फसानों को
कहीं छुपती मोहब्बत है छुपा लो लाख तुम उसको
निगाहें खीँच लेती हैं मोहब्बत के दीवानों को
यकीं आ जायगा तुमको कहीं इक दिल धड़कता है
कि सारी उम्र सौप दूं तेरी पलकों के शामियानों को
चलो अच्छा हुआ ,निभाई गुगुनती दोस्ती तुमने
ख़ुदा महफूज़ रखे ता कयामत तेरे फसानों को
छलक जाएँ न आँसूं कहीं मेरी निगाहों से
चलो अब आसमां पर बसा लें अपने ठिकानों को
मधु "मुस्कान "
हवाएँ सूंघ लेती हैं , मोहब्बत के फसानों को
फज़ाएँ गुनगुनाती है , मोहब्बत के तरानों को
खिला दे फूल उसके जिश्म पर पैगम्बरों जैसा
खुदा तू हजारों पर लगा दे मोहब्बत के फसानों को
कहीं छुपती मोहब्बत है छुपा लो लाख तुम उसको
निगाहें खीँच लेती हैं मोहब्बत के दीवानों को
यकीं आ जायगा तुमको कहीं इक दिल धड़कता है
कि सारी उम्र सौप दूं तेरी पलकों के शामियानों को
चलो अच्छा हुआ ,निभाई गुगुनती दोस्ती तुमने
ख़ुदा महफूज़ रखे ता कयामत तेरे फसानों को
छलक जाएँ न आँसूं कहीं मेरी निगाहों से
चलो अब आसमां पर बसा लें अपने ठिकानों को
मधु "मुस्कान "
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