चर्चामंच के विद्वान चर्चाकारों
एवम् ब्लॉग जगत के रचना कारों
"विशालाक्षा -6" पर प्रतुल जी के
साथ बहस जारी है आप अपना
मत एवम् पक्ष रख मेरा मार्ग
दर्शन अवश्य करें कृपया एक बार
विशालाक्षा 6 की टिप्पणी पर पधारें
कहाँ बनेगा कुण्ड हवन का
कहाँ बनेगा कुण्ड हवन का
कहाँ जलेगी ज्योति प्यार की
कहाँ लगेंगें बचन के फेरे
कहाँ लगेगी गाँठ प्यार की
बोलो-बोलो कुछ तो बोलो
बोलो मिलन कहाँ पर होगा
कौन बनेगा जीवन साथी
कहाँ सजेगी डोली तेरी
कौन भरे सिन्दूर माँग में
पायल खनकेगी कब तेरी
बोलो-बोलो कुछ तो बोलो
बोलो मिलन कहाँ पर होगा
आज तुम्हे बतलाना होगा
कहाँ सज़ेगी सेज मिलन की
तरु तरुवर की घनी छाँव में
या पलकों के आँगन में
बोलो-बोलो कुछ तो बोलो
बोलो मिलन कहाँ पर होगा
वन उपवन के वातायन में
दूर कहीं आकाश गगन में
नील कमल की पंखुड़ीयों पर
सुरसरिता की लहरों पर
बोलो-बोलो कुछ तो बोलो
बोलो मिलन कहाँ पर होगा
कहाँ जलेगी प्यार की समिधा
पंडित कौन पढ़ेगा पोथी
जीवन की सुरभित घाटी में
कौन करेगा मंगल गायन
बोलो बोलो कुछ तो बोलो
बोलो मिलन कहा पर होगा
लगन मुहूरत भी तो होगी
होंगें पंडित और पुरोहित
कौन करेगा कन्या दान
कौन भरेगा गोद तुम्हारी
बोलो-बोलो कुछ तो बोलो
बोलो मिलन कहाँ पर होगा
प्रणय निवेदन कौन करेगा
कौन करेगा आ आलिंगन
जूही गुलाब की कलिओं से
कौन करेगा उठ अभिनन्दन
बोलो - बोलो कुछ तो बोलो
बोलो मिलन कहाँ पर होगा
घूँघट पट जब और खुलेंगें
कौन करेगा तेरे दर्शन
कमल सरीखे होठों का
कौन करेगा भाऊक चुम्बन
बोलो -बोलो कुछ तो बोलो
बोलो मिलन कहाँ पर होगा
मधु "मुस्कान"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें