तुम आ जाना
जब शाम ढले जब दीप जले
तुम भी चलना जब तिमिर चले
चुपके- चुपके तुम आ जाना
तुम भी चलना जब रात चले
अमावस की सुनी रातों में
प्रियतम की खोयी यादों में
बन विश्नुपगा ध्रुवनंदा तुम
तुम आजाना जब शाम ढले
हौले हौले तुम डग पग भरना
घूँघर की झंकार न निकले
मादकता का श्रृंगार किये तुम
आ जाना तुम जब इन्दु छले
तुम बन माया की मृगतृष्णा
व्यथा विरह की प्रतिमा गढ़ कर
जला काम की ज्वाला उर में
तुम भी चलना जब सत्य चले
पहन प्यार की धानी चुनर
लज्जा से आवृत्त वसन में
लिए दीप दोनों कर अपनें
मादकता ले भोले नयन में
ज्योतिप्रभा ले व्यारापति की
शीतल मंद वयार सुगन्धित
लिए साथ अपने सांसों में
कर देना जीवन अभिमंत्रित
चक्षु लिए तुम अमिय धार की
नव नूतन परिधान पहन कर
लिए काम की मृदुल सुरभि
आ जाना तुम वारिद बन कर
मधु "मुस्कान "
तुम बन माया की मृगतृष्णा
व्यथा विरह की प्रतिमा गढ़ कर
जला काम की ज्वाला उर में
तुम भी चलना जब सत्य चले
पहन प्यार की धानी चुनर
लज्जा से आवृत्त वसन में
लिए दीप दोनों कर अपनें
मादकता ले भोले नयन में
ज्योतिप्रभा ले व्यारापति की
शीतल मंद वयार सुगन्धित
लिए साथ अपने सांसों में
कर देना जीवन अभिमंत्रित
चक्षु लिए तुम अमिय धार की
नव नूतन परिधान पहन कर
लिए काम की मृदुल सुरभि
आ जाना तुम वारिद बन कर
मधु "मुस्कान "
हौले हौले तुम डग पग भरना
जवाब देंहटाएंघूँघर की झंकार न निकले
मादकता का श्रृंगार किये तुम
आ जाना तुम जब इन्दु छले
तुम बन माया की मृगतृष्णा
व्यथा विरह की प्रतिमा गढ़ कर
जला काम की ज्वाला उर में
तुम भी चलना जब सत्य चले
पहन प्यार की धानी चुनर
लज्जा से आवृत्त वसन में
लिए दीप दोनों कर अपनें
मादकता ले भोले नयन में
ज्योतिप्रभा ले व्यारापति की
शीतल मंद वयार सुगन्धित
लिए साथ अपने सांसों में
कर देना जीवन अभिमंत्रित
चक्षु लिए तुम अमिय धार की
नव नूतन परिधान पहन कर
लिए काम की मृदुल सुरभि
आ जाना तुम वारिद बन कर