मत पूँछ ज़माने तू
मत पूंछ ज़माने तू हम कैसे जिए जाते हैं
अपनों के हाथो से तो अब खून किए जाते हैं
अपनों के हाथो से तो अब खून किए जाते हैं
उसने तो काट कर रख दी ज़ुबान कागज़ पर
इल्ज़ाम ख़ुद पे लगा हम तो जिए जाते हैं
जिस दिन से उसने मुझको घर से निकाला है
उस दिन से उससे हम ,फरियाद किए जाते हैं
मत पूँछ मेरे ज़ख्मों की तादात मेरे दोस्त
इन्हीं ज़ख्मों के सहारे हम याद किए जाते हैं
फ़सले गुल भी कयामत का हुनर रखते हैं
इल्ज़ाम ख़ुद पे लगा हम तो जिए जाते हैं
जिस दिन से उसने मुझको घर से निकाला है
उस दिन से उससे हम ,फरियाद किए जाते हैं
मत पूँछ मेरे ज़ख्मों की तादात मेरे दोस्त
इन्हीं ज़ख्मों के सहारे हम याद किए जाते हैं
फ़सले गुल भी कयामत का हुनर रखते हैं
फ़िर भी हम उसको ही आवाज़ दिए जाते हैं
तोड़, फेंक दिया खुश्क पत्तों सा जिसने मुझको
हम उसी शाख़ के ख़्वाबों पे जिए जाते हैं
होठ पर अंगारे लिए जिस शक्स ने मुझे छेड़ा था
ख़्वाब आईने मे सज़ा उसका हम तो जिए जते हैं
मधु"मुस्कान"
तोड़, फेंक दिया खुश्क पत्तों सा जिसने मुझको
हम उसी शाख़ के ख़्वाबों पे जिए जाते हैं
होठ पर अंगारे लिए जिस शक्स ने मुझे छेड़ा था
ख़्वाब आईने मे सज़ा उसका हम तो जिए जते हैं
मधु"मुस्कान"
bahut achchha
जवाब देंहटाएंहोठ पर अंगारे लिए जिस शक्स ने मुझे छेड़ा था
जवाब देंहटाएंख़्वाब आईने मे सज़ा उसका हम तो जिए जते हैं waai me ....hm hi nadan h jo unko itna bhaw dete hain bahut acchhi abhiwayakti madhu jee ....
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति,आभार
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, दर्द से भरी दास्ताँ
जवाब देंहटाएंमत पूँछ मेरे ज़ख्मों की तादात मेरे दोस्त
इन्हीं ज़ख्मों के सहारे हम याद किए जाते हैं
फ़सले गुल भी कयामत का हुनर रखते हैं
फ़िर भी हम उसको ही आवाज़ दिए जाते हैं
तोड़, फेंक दिया खुश्क पत्तों सा जिसने मुझको
हम उसी शाख़ के ख़्वाबों पे जिए जाते हैं
होठ पर अंगारे लिए जिस शक्स ने मुझे छेड़ा था
ख़्वाब आईने मे सज़ा उसका हम तो जिए जते हैं
मत पूँछ मेरे ज़ख्मों की तादात मेरे दोस्त
जवाब देंहटाएंइन्हीं ज़ख्मों के सहारे हम याद किए जाते हैं
Bahut he umda likha hai!
bahut khubsoorat gazal.........
जवाब देंहटाएंwaaaah achchi gazal hai
जवाब देंहटाएंBehtreen Panktiyan...
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जवाब देंहटाएंउसने तो काट कर रख दी ज़ुबान कागज़ पर
इल्ज़ाम ख़ुद पे लगा हम तो जिए जाते हैं
यह भी तो अपना ही होंसला है,नहीं तो वोह ऐसा न कर लेता. अच्छी रचना.
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा ग़ज़ल , सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंpost हे ! भारत के मातायों
latest postअनुभूति : क्षणिकाएं
बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाएं http://panchayatkimuskan.com/ पर भी प्रकाशित हो सकती है इसके लिए आप अपनी रचनाएं panchayatkimuskan@gmail.com पर ईमेल करें
धन्यवाद!
तोड़, फेंक दिया खुश्क पत्तों सा जिसने मुझको
जवाब देंहटाएंहम उसी शाख़ के ख़्वाबों पे जिए जाते हैं
शिद्दत से जिए जाते हैं ,तेरी यादों की टेक लिए .....
तोड़, फेंक दिया खुश्क पत्तों सा जिसने मुझको
हम उसी शाख़ के ख़्वाबों पे जिए जाते हैं
बहुत खूब !