तेरा चाहने वाला
हटा पर्दा तसब्बुर का ,तू देख ले उसकी तरफ़
नज़र आ जायगा तुझको तेरा चाहने वाला
उसी के दिल का लहू दौड़ रहा है तेरे दिल में
मिल जायगा तेरे दिल में, तेरा चाहने वाला
है वही शक्श जो तुझको जुदा-जुदा सा लगता है
है कभी न जुदा तुझसे तेरा चाहने वाला
वो ख़ुदा न सही, न सही,जरा तू पूछ ले उससे
ख़ुदा सा लगेगा तुझको से तेरा चाहने वाला
है उसकी दुआओं का असर तुझ पर इतना
कि न जुदा, ख़ुदा से लगेगा तेरा चाहने वाला
दरम्यां जिश्म औ रूह के न कोई फासला रहा
दिले-आईन में दिख जायगा तेरा चाहने वाला
मधु "मुस्कन "
बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति,आभार.
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है- बेहद सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपकी यह पोस्ट आज के (२५ मई २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - किसकी सजा है ? पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई और सादर आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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बहुत ही बेहतरीन
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंहै उसकी दुआओं का असर तुझ पर इतना
जवाब देंहटाएंकि न जुदा, ख़ुदा से लगेगा तेरा चाहने वाला
दरम्यां जिश्म औ रूह के न कोई फासला रहा
दिले-आईन में दिख जायगा तेरा चाहने वाला
वाह क्या अभिव्यक्ति है शब्दों की जादूगरी सी ,दिल को छूती हुई आवाज़ कलम की ...ॐ शान्ति
bahut badiya abhivyakti ...
जवाब देंहटाएंभावप्रणव रचना!
जवाब देंहटाएंBEAUTIFUL GAZAL WITH GREAT EMOTIONS AND FEELINGS
जवाब देंहटाएंवाह वाह क्या बात ........... बहुत ही खुबसुरत गजल
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