गुनाह मत करना
मैं वक्त हूँ, तुम मुझसे सवालात मत करना
भूल कर भी, कभी कोई गुनाह मत करना
ऐसे चेहरे जो , पल भर में रंग बदल लेते हैं
ऐसे चेहरों पर कभी तुम एतबार मत करना
ख़ुद अपनी निगाहें भी गुनाहगार कम नहीं
तुम आईनों से बेवज़ह तकरार मत करना
हाथों पे जिनके बिछी है ,फ़ितरत की लकीरें
हाथों की तरफ़ उनके कभी हाथ मत करना
छाती पे समंदर के एक तहरीर लिखी है
पढने की उसे गौर से तू भूल मत करना
जो घर के अंधेरों में, हो खामोश सो गए
उनसे जिंदगी के तुम सवालात मत करना
सच कह के आज हम तो गुनाहगार हो गए
भूल से भी , सच कहने का गुनाह मत करना
मधु " मुस्कान"
भूल से भी , सच कहने का गुनाह मत करना
मधु " मुस्कान"
सच कह के आज हम तो गुनाहगार हो गए
जवाब देंहटाएंभूल से भी , सच कहने का गुनाह मत करना
VERY NICE HEART TOUCHING LINES
सच कह के आज हम तो गुनाहगार हो गए
जवाब देंहटाएंभूल से भी , सच कहने का गुनाह मत करना
लाजबाब ग़ज़ल की प्रस्तुति,आभार.
बहुत बढ़िया रचना
हटाएंसुंदर ग़ज़ल एवं उत्तम पंक्तियाँ -
जवाब देंहटाएंजो घर के अंधेरों में, हो खामोश सो गए
उनसे जिंदगी के तुम सवालात मत करना
बहुत बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ....
जवाब देंहटाएंआपने लिखा....हमने पढ़ा
जवाब देंहटाएंऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 19/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
ख़ुद अपनी निगाहें भी गुनाहगार कम नहीं
जवाब देंहटाएंतुम आईनों से बेवज़ह तकरार मत करना,,,, वाह .. खूबसूरत गज़ल!
जिंदगी की गुनाही और बेगुनाही को दरियाफ्त करती खूबशूरत ग़ज़ल .............."जो घर के अंधेरों में, हो खामोश सो गए
जवाब देंहटाएंउनसे जिंदगी के तुम सवालात मत करना
सच कह के आज हम तो गुनाहगार हो गए
भूल से भी , सच कहने का गुनाह मत करना
वाह....
जवाब देंहटाएंख़ुद अपनी निगाहें भी गुनाहगार कम नहीं
तुम आईनों से बेवज़ह तकरार मत करना
बेहतरीन ग़ज़ल...
अनु
सुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंख़ुद अपनी निगाहें भी गुनाहगार कम नहीं
जवाब देंहटाएंतुम आईनों से बेवज़ह तकरार मत करना ...बेहतरीन ग़ज़ल
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest postअनुभूति : विविधा
latest post वटवृक्ष
ऐसे चेहरे जो , पल भर में रंग बदल लेते हैं
जवाब देंहटाएंऐसे चेहरों पर कभी तुम एतबार मत करना ..
बहुत खूब .... लाजवाब शेर का खूबसूरत शेर है ...
ख़ुद अपनी निगाहें भी गुनाहगार कम नहीं
जवाब देंहटाएंतुम आईनों से बेवज़ह तकरार मत करना
बहुत खूब !!!
हाथों पे जिनके बिछी है ,फ़ितरत की लकीरें
जवाब देंहटाएंहाथों की तरफ़ उनके कभी हाथ मत करना-------
वाह जीवन जीने के सच को व्यक्त करती अनुभूति
सुंदर रचना
बधाई
पढ़ें "बूंद-"आग्रह है मेरे ब्लॉग में सम्मलित हों
http://jyoti-khare.blogspot.in
हाथों पे जिनके बिछी है ,फ़ितरत की लकीरें
जवाब देंहटाएंहाथों की तरफ़ उनके कभी हाथ मत करना
बहुत खूब मधु जी जो जैसा है उसे वैसा ही रहने दें,
ऐसा न करना पर यह हमारी फितरत की तौहीन होगी।
यह गुनाह किसी को नहीं करना चाहिए।
ख़ुद अपनी निगाहें भी गुनाहगार कम नहीं
जवाब देंहटाएंतुम आईनों से बेवज़ह तकरार मत करना
मैं वक्त हूँ, तुम मुझसे सवालात मत करना
भूल कर भी, कभी कोई गुनाह मत करना
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल
lajabab prem rachna..
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंख़ुद अपनी निगाहें भी गुनाहगार कम नहीं
तुम आईनों से बेवज़ह तकरार मत करना
गजल का हरेक शैर काबिले दाद ,भाव संसिक्त रागयुक्त ,मल्हार युक्त .
बहुत ही खूबसूरत ख्याल पिरोये हैं गज़ल में .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
सुन्दर सीख देती बढ़िया रचना!
जवाब देंहटाएंBhut achchi rachna.
जवाब देंहटाएंvinnie