स्नेह का दीप जलता रहे
माँ का आँचल मचलता रहे
स्नेह का दीप जलता रहे
माँ के सीने से ममता बहे
पुष्प बचपन का खिलता रहे
माँ के ओठों से चुम्बन मिले
छाँव आँचल का मिलता रहे
थपकी लोरी संग मिलती रहे
प्यार खुशबू बन हँसता रहे
चाँद आँगन में चलता रहे
माँ का आँचल महकता रहे
न कभी आँसू दिखे आँख में
माँ का चेहरा दमकता रहे
माँ के चरणों में हो माथा झुका
स्नेह का अभ्र उमड़ता रहे
माँ के चरणों में हो माथा झुका
स्नेह का अभ्र उमड़ता रहे
मधु"मुस्कान"
माँ की ममता से बढकर कुछ भी नही,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंमाँ की ममता और स्नेह से परिपूर्ण आँचल .लोरी
जवाब देंहटाएंथपकी, की मिठास अतुलनीय है , मर्मस्पर्शी प्रस्तुति
बहुत बढ़िया आंटी
जवाब देंहटाएंसादर
ममता दिवस (माँ दिवस )पर मामता का सैलाब दिखा ,ब्लॉग माँ से सराबोर दिखा .बढ़िया उदगार माँ के प्रति .
जवाब देंहटाएं"भाव निबन्ध हैं ये कवितायेँ माँ के प्रति .कोमल भाव उदगार तो हैं ही ."
जवाब देंहटाएंमाँ के स्नेह का दीपक जलता रहे , बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंwah behad umda
जवाब देंहटाएंमाँ के चरणों में हो माथा झुका
जवाब देंहटाएंस्नेह का अभ्र उमड़ता रहे
खूबसूरत अभिव्यक्ती
शानदार गज़ल
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
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