शनिवार, 11 मई 2013

मधु सिंह : स्नेह का दीप जलता रहे



         स्नेह का दीप जलता हे 


         माँ  का आँचल  मचलता रहे 
         स्नेह  का   दीप  जलता  रहे 
   
         माँ  के  सीने  से  ममता  बहे 
         पुष्प बचपन का खिलता रहे 

        माँ  के ओठों से चुम्बन मिले 
        छाँव  आँचल का  मिलता रहे 

        थपकी लोरी संग मिलती रहे 
        प्यार  खुशबू बन  हँसता  रहे 

       चाँद   आँगन   में  चलता रहे 
       माँ  का  आँचल  महकता रहे 

       न  कभी आँसू दिखे  आँख में 
       माँ   का  चेहरा   दमकता रहे 

      माँ के चरणों में हो माथा झुका 
     स्नेह   का   अभ्र  उमड़ता  रहे 
    
     
                         मधु"मुस्कान"



10 टिप्‍पणियां:

  1. माँ की ममता से बढकर कुछ भी नही,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.

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  2. माँ की ममता और स्नेह से परिपूर्ण आँचल .लोरी
    थपकी, की मिठास अतुलनीय है , मर्मस्पर्शी प्रस्तुति

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  3. ममता दिवस (माँ दिवस )पर मामता का सैलाब दिखा ,ब्लॉग माँ से सराबोर दिखा .बढ़िया उदगार माँ के प्रति .

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  4. "भाव निबन्ध हैं ये कवितायेँ माँ के प्रति .कोमल भाव उदगार तो हैं ही ."

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  5. माँ के स्नेह का दीपक जलता रहे , बहुत सुन्दर

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  6. माँ के चरणों में हो माथा झुका
    स्नेह का अभ्र उमड़ता रहे
    खूबसूरत अभिव्यक्ती
    शानदार गज़ल

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

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