बे-नकाब होने को है
सज़ा बे- वफ़ाई की आता होने को है
शौके - फ़ितरत की कज़ा होने को है
नरगिस की बेनूरी सदा देती रह गई
जल्वये - नूरी बे - नकाब होने को है
नक्श है जिश्म पे लाखों श्याह दाग
धड़ पेशवा का सर से अलग होने को है
ख्वाबे -महफ़िल रोज सजती है अँधेरे में
सारी दुनिया को अब खबर होने को है
खोल कर सन्दूक पढ़ लिये सारे खतों को
डाकिये को अब जल्द सज़ा होने को है
बेशक सज़ा गुनहगारों को मिलनी चाहिए
जल्द ही एक नाम फ़िर सुर्खी में होने को है
मधु"मुस्कान"
ख्वाबे -महफ़िल रोज सजती है अँधेरे में
जवाब देंहटाएंसारी दुनिया को अब खबर होने को है
BEAUTIFUL LINES WITH GREAT EMOTIONS
जवाब देंहटाएंवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
ख्वाबे -महफ़िल रोज सजती है अँधेरे में
जवाब देंहटाएंसारी दुनिया को अब खबर होने को है ..
लाजवाब शेर है गज़ल का ... उम्दा गज़ल ...
लाजवाब रचना | आभार |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
नरगिस की बेनूरी सदा देती रह गई
जवाब देंहटाएंजल्वये - नूरी बे - नकाब होने को है
....वाह! बहुत उम्दा प्रस्तुति...
खूबसूरत लफ्ज़.......बेहतरीन ख्याल
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंसुन्दर गजल ,लेकिन गजल के भाव में कुछ छायाबाद प्रतिध्वनित होता दिखाई दे रहा है
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंउम्दा ग़ज़ल लिखी है आपने!