शुक्रवार, 24 मई 2013

मधु सिंह : तेरा चाहने वाला

   
        तेरा चाहने वाला 



  हटा  पर्दा  तसब्बुर का ,तू देख ले उसकी तरफ़ 
  नज़र  आ  जायगा   तुझको  तेरा  चाहने  वाला 
  
  उसी  के  दिल का लहू दौड़  रहा  है तेरे दिल  में 
  मिल  जायगा  तेरे  दिल में,  तेरा  चाहने वाला

  है वही शक्श जो तुझको जुदा-जुदा सा लगता है
  है   कभी  न   जुदा   तुझसे   तेरा   चाहने वाला

  वो  ख़ुदा  न  सही, न सही,जरा तू पूछ  ले उससे
  ख़ुदा  सा  लगेगा  तुझको  से  तेरा  चाहने वाला  

  है  उसकी   दुआओं  का  असर  तुझ  पर इतना 
  कि  न जुदा,  ख़ुदा  से लगेगा  तेरा चाहने वाला

  दरम्यां  जिश्म औ  रूह के न कोई फासला रहा 
  दिले-आईन  में  दिख जायगा तेरा चाहने वाला

                                            मधु "मुस्कन "

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति,आभार.

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  2. वाह क्या बात है- बेहद सुंदर अभिव्यक्ति

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. आपकी यह पोस्ट आज के (२५ मई २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - किसकी सजा है ? पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई और सादर आभार |

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  5. बेहद सुंदर अभिव्यक्ति!
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post: बादल तू जल्दी आना रे!
    latest postअनुभूति : विविधा

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  6. है उसकी दुआओं का असर तुझ पर इतना
    कि न जुदा, ख़ुदा से लगेगा तेरा चाहने वाला

    दरम्यां जिश्म औ रूह के न कोई फासला रहा
    दिले-आईन में दिख जायगा तेरा चाहने वाला

    वाह क्या अभिव्यक्ति है शब्दों की जादूगरी सी ,दिल को छूती हुई आवाज़ कलम की ...ॐ शान्ति

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  7. वाह वाह क्या बात ........... बहुत ही खुबसुरत गजल

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