इल्ज़ाम
(1)
हमने तो कभी दूर से भी गौर से देखा नहीं उसे
इल्ज़ाम मोहब्बत का मेरे माथे पे लग गया
(2)
क्यों न मोहब्बत का एक पैमाना बनाया जाए
सारी दुनिय को अब उसको ही पिलाया जाए
(4)
दुनियाँ हमारे प्यार की यूँ घटती चली गई
द्वारिका में श्याम की वो मोहब्बत नहीं रही
प्यार के दिए जलाना बेशक जूरुरी हो गया है
जिश्म का सारा लहू तुम अब दिए में डाल दो
(3)क्यों न मोहब्बत का एक पैमाना बनाया जाए
सारी दुनिय को अब उसको ही पिलाया जाए
(4)
दुनियाँ हमारे प्यार की यूँ घटती चली गई
द्वारिका में श्याम की वो मोहब्बत नहीं रही
मधु "मुस्कान"
"हमने तो कभी दूर से भी गौर से देखा नहीं उसे
जवाब देंहटाएंइल्ज़ाम मोहब्बत का मेरे माथे पे लग गया"
फुटकर अशआर बहुत उम्दा रहे!
जवाब देंहटाएंBadiya
जवाब देंहटाएंक्यों न मोहब्बत का एक पैमाना बनाया जाए
सारी दुनिय को अब उसको ही पिलाया जाए
kya baat hai Bahut hi umda
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्यार के दिए जलाना बेशक जूरुरी हो गया है
जवाब देंहटाएंजिश्मका सारा लहू तुम अब दिए में डाल दो