पास बैठो मेरे,कोई शरारत करो
नफ़रत करो या मोहब्बत करो
न डूबें कहीं हम भँवर में अकेले
साथ जीने की कोई सूरत करो
चुप न हो, तुम यूँ हीं बैठी रहो
कोई खंजर चलाओ शरारत करो
छलक जाएँ न आँखों से आँसूं कहीं
इन्हे तुम छुपाने की हिम्मत करो
कहीं खो न जाए मंजिल तुम्हारी
मोहब्बत की अपनी हिफाज़त करो
आंधियाँ जोर की हैं अब चलने लगी
दो कदम अब चलो,बस इबादत करो
मंजिल तो है अब तेरे कदमो तले
सिर्फ बाँहों में भरने की चाहत करो
मधु"मुस्कान"
कहीं खो न जाए मंजिल तुम्हारी
मोहब्बत की अपनी हिफाज़त करो
आंधियाँ जोर की हैं अब चलने लगी
दो कदम अब चलो,बस इबादत करो
मंजिल तो है अब तेरे कदमो तले
सिर्फ बाँहों में भरने की चाहत करो
मधु"मुस्कान"
सुन्दर चित्र के साथ बढ़िया प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंSunder prastuti
जवाब देंहटाएंमंजिल तो है अब तेरे कदमो तले
बाँहों में भरने की सिर्फ़ चाहत करो
बेहतरीन बेहतरीन ,क्या खूब ,मोहब्बत का इजहार बड़े ही खूबशूरत तरीके से किया है ,दिल को छु लेने वाली प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंsundar abhivyakti ,behatareen andaz,
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना पढवाई है आपने वो कहते हैं न इंतज़ार का फल मीठा होता है ठेक ही कहतें हैं .
जवाब देंहटाएंआंधियाँ जोर की हैं अब चलने लगी
दो कदम अब चलो,बस इबादत करो
Virendra Sharma @Veerubhai1947
जवाब देंहटाएंram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 दिमागी तौर पर ठस रह सकती गूगल पीढ़ी
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3hVirendra Sharma @Veerubhai1947
ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 खबरनामा सेहत का
बढ़िया रचना पढवाई है आपने वो कहते हैं न इंतज़ार का फल मीठा होता है ठीक ही कहतें हैं .
आंधियाँ जोर की हैं अब चलने लगी
दो कदम अब चलो,बस इबादत करो
जवाब देंहटाएंनूतन वर्ष अभिनन्दन .
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,,,,
जवाब देंहटाएंमंजिल तो है अब तेरे कदमो तले
बाँहों में भरने की सिर्फ़ चाहत करो,,,
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recent post : नववर्ष की बधाई
,मन पे काबू रखो ,निर्भया बनो ! वर्ष 2012 ने जो चिंगारी छेड़ी है अन्ना जी से निर्भया तक ,जब अकेली जान आधी दुनिया की पूरी तथा इंसानियत की लड़ाई लड़ सकती है मौत को
जवाब देंहटाएंधता बता सकती है तब एक फर्ज़ हमारा
भी है सेकुलर वोट की बात करने वालों को हम भी मुंह की चखाएं .
,शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .
छलक जाएँ न आँखों से आँसूं कहीं
इन्हे तुम छुपाने की हिम्मत करो
कहीं खो न जाए मंजिल तुम्हारी
मोहब्बत की अपनी हिफाज़त करो
आंधियाँ जोर की हैं अब चलने लगी
दो कदम अब चलो,बस इबादत करो
मंजिल तो है अब तेरे कदमो तले
सिर्फ बाँहों में भरने की चाहत करो
संग्रह करें इन प्यार के ज़ज्बातों का ,सफर में रातें अँधेरी भी आयेंगी .हौसला रख आगे बढ़
अभी तो और भी रातें सफर में आयेंगी ,
चरागे शब मेरे महबूब संभाल के रख .
ram ram bhai
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शुक्रवार, 28 दिसम्बर 2012
एक ही निर्भया भारी है , इस सेकुलर सरकार पर , गर सभी निर्भया बाहर आ गईं , तब न जाने क्या होगा ?
http://veerubhai1947.blogspot.in/